मध्य प्रदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की पानी पर बात: बोले- सफलता की कुंजी है ‘सेंस ऑफ ऑनरशिप’

पीएम मोदी ने भोपाल में हुई वाटर विजन @ 2047 कॉन्फ्रेंस को वर्चुअली संबोधित किया, कहा-इंडस्ट्री और खेती दोनों सेक्टर्स में हमें पानी बचाने के लिए जागरूकता की जरूरत

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भोपाल। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि इंडस्ट्री और खेती दोनों सेक्टर्स में हमें पानी बचाने के लिए जागरूक करने की जरूरत है। ग्राम पंचायतें भी पानी को ध्यान में रखकर अगले 5 साल के लिए प्लान तैयार करें। उन्होंने कहा कि हमारी संवैधानिक व्यवस्था में पानी का विषय, राज्यों के नियंत्रण में आता है। जल संरक्षण के लिए राज्यों के प्रयास, देश के सामूहिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में बहुत सहायक होंगे। पीएम ने कहा कि जल संरक्षण से जुड़े अभियानों में जनता को, सामाजिक संगठनों को, सिविल सोसाइटी को भी ज्यादा से ज्यादा साथ लेना होगा। जब किसी अभियान से जनता जुड़ी रहती है, तो उसे कार्य की गंभीरता भी पता चलती है। इससे जनता में किसी योजना या अभियान के प्रति सेंस ऑफ ऑनरशिप आती है। सेंस ऑफ ऑनरशिप सफलता की कुंजी है।
‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ अभियान के तहत तेजी से किया जा रहा काम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को राजधानी भोपाल में हुई वाटर विजन @ 2047 कॉन्फ्रेंस को वर्चुअली संबोधित कर रहे थे। कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय जलशक्ति राज्यमंत्री प्रहलाद पटेल विशेष रूप से मौजूद थे। कॉन्फ्रेंस की शुरुआत करते हुए पीएम ने पानी बचाने पर बात की। उन्होंने कहा कि हमारी नदियां, हमारी वाटर बॉडीज पूरे वाटर ईको सिस्टम का सबसे अहम हिस्सा होते हैं। हमारी कोई भी नदी या वाटर बॉडी बाहरी कारकों से प्रदूषित न हों, इसके लिए हमें हर राज्य में वेस्ट मैनेजमेंट और सीवेज ट्रीटमेंट का नेटवर्क बनाना होगा। पीएम ने कहा कि जल संरक्षण के क्षेत्र में भी सर्कुलर इकॉनामी की बड़ी भूमिका है। जब ट्रीटेड वाटर को रीयूज किया जाता है, फ्रेश वाटर को कंजर्व किया जाता है, तो इससे पूरे ईको सिस्टम को बहुत लाभ होता है। पीएम ने कहा कि इंडस्ट्री और खेती दोनों सेक्टर्स को ही पानी की कितनी जरूरत होती है। हमें इन दोनों ही सेक्टर्स से जुड़े लोगों में विशेष अभियान चलाकर इन्हें वाटर सिक्योरिटी के प्रति जागरूक करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि सिंचाई योजना के तहत सभी राज्यों में तेजी से काम हो रहा है। इसके अंतर्गत ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ अभियान की शुरुआत की गई थी।
अटल भूज संरक्षण योजना संवेदनशीलता से आगे बढ़ाएं
प्रधानमंत्री ने कहा कि जल संरक्षण के लिए केंद्र ने अटल भूज संरक्षण योजना शुरू की है। ये एक संवेदनशील अभियान है। इसे उतनी ही संवेदनशीलता से आगे बढ़ाने की जरूरत है। ग्राम पंचायतें अगले 5 साल का प्लान पानी को केंद्र में रखकर बनाएं। कुछ राज्यों में पंचायत स्तर पर वाटर बजट तैयार किया गया है। इसे दूसरे राज्य भी अपना सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमें पॉलिसी लेवल पर भी पानी से जुड़ी परेशानियों के समाधान के लिए सरकारी नीतियों से बाहर आना पड़ेगा। हमें प्रॉब्लम को पहचानने और सॉल्यूशन के लिए टेक्नोलॉजी और खासकर स्टार्टअप को जोड़ना पड़ेगा। पीएम बोले- हर घर तक पानी पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन आपके राज्य का एक बड़ा डेवलपमेंट पैरामीटर है। कई राज्यों ने इसमें अच्छा काम किया। कई राज्य इसमें आगे बढ़ रहे हैं। अब हमें यह सुनिश्चित करना है कि एक बार ये व्यवस्था बन गई तो आगे भी इसकी देखरेख अच्छे ढंग से चलेगी। हमारी कोई भी नदी या वाटर बॉडी प्रदूषित न हो, इसके लिए हमें हर राज्य में वेस्ट मैनेजमेंट और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पर फोकस करना होगा।
सीएम शिवराज बोले- मोदी विजनरी लीडर, वे अपने संकल्प में सबको झोंक देते हैं
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, पीएम मोदी के रूप में हमें विजनरी लीडर मिले हैं। वो कल्पनाशील मस्तिष्क के धनी हैं। वो संकल्प लेते हैं और खुद को ही नहीं झोंकते, हम सबको भी झोंकने की कोशिश करते हैं। जिन विषयों पर कभी विचार नहीं होता था, आज उन पर विचार हो रहा है। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि भारत पानी के क्षेत्र में 16 हजार करोड़ का निवेश कर रहा है। उन्होंने कहा कि वाटर विजन @ 2047 का दुर्लभ अवसर मध्यप्रदेश को मिला है। हमारी परंपरा अतिथि देवो भव: की है। प्रयास यह होगा कि सम्मेलन के दौरान किसी तरह का कष्ट न हो। सीएम ने कहा, मध्यप्रदेश में 2003 के आसपास तक सिंचाई की कैपेसिटी 7500 लाख हेक्टेयर थी। हमारा राज्य कृषि प्रधान है। हमने सबसे पहले बांध बनाने पर काम किया। इससे सिंचाई का एरिया बढ़कर अब 45 लाख हेक्टेयर हो गया है। इसे 65 लाख हेक्टेयर तक ले जाने के लिए काम कर रहे हैं। पहले केवल प्रदेश के 14% घरों को नल से पानी मिलता था, अब 47% लोगों को नल से पानी दे रहे हैं।
मैंने लोगों को कहा- कुएं की सफाई में 5 हजार खर्च नहीं कर सकते : शिवराज सिंह ने कहा- जब मैं पहली बार 90 में विधायक बना, तो मेरा खूब स्वागत हुआ। हमारे यहां भंडारे होते हैं। भंडारे में आसपास के गांवों के लोग बुलाए गए। मांग पत्र में मुझे लिखा कि हमारे गांव में पीने का पानी का एकमात्र स्रोत कुआं है। कुएं की सफाई कई साल से नहीं हुई। हमें गांव के कुएं की सफाई के लिए 5 हजार की मदद दें। मैंने पूछा कि भंडारे में कितना पैसा खर्च हो रहा है, तो लोग बोले- लाख-50 हजार रुपए। हमने कहा कि भंडारे में 1 लाख खर्च कर रहे हो, कुंए की सफाई में 5 हजार खर्च नहीं कर सकते।
भोपाल में एक तिहाई वाटर सप्लाई बड़े तालाब से होती है : भोपाल जल प्रबंधन का उत्तम उदाहरण है। हमारे यहां कहावत है कि ताल तो भोपाल ताल, बाकी सब तलैया। यह ताल दसवीं शताब्दी में बना था। इसे बने हुए एक हजार साल से ज्यादा हो गए हैं और आज भी भोपाल की एक तिहाई वाटर सप्लाई इसी तालाब से होती है। राजा भोज ने अकेले भोज ताल नहीं बनवाया था। दो पत्थरों की दीवारों के बीच मिट्टी भरकर उन्होंने 400 वर्ग किलोमीटर का तालाब और बनवाया था। मंडीदीप उसमें एक द्वीप था। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड की धरती में लगभग 2000 से ज्यादा चंदेल कालीन जल संरचनाएं हैं। यह हमारी प्राचीन परंपरा भी है। मध्यप्रदेश के भी हर गांव में बिना तालाब के काम नहीं चलता था।
जब सांसद था, तब बेतवा पर स्टॉप डैम बनवाया : हमारे यहां एक प्रयोग हुआ कि खेत में तालाब बनाओ। मैं जब सांसद बना, उस समय सांसदों को 25 लाख निधि मिलती थी। बेतवा में हमने स्टॉप डैम बनाया। इससे 14 किलोमीटर तक पानी रुक गया। जो कुएं और ट्यूबवेल सूख गए थे, उनमें पानी आ गया। इसके बाद हमने प्रदेश में स्टॉपडैम बनाने का काम शुरु किया। सीएम ने कहा कि हमारे यहां नर्मदा नदी पेड़ों की जड़ से निकलती हैं। हमने नर्मदा सेवा यात्रा अभियान चलाकर नर्मदा जी के किनारों पर पेड़ लगाए। वाटर विजन गंभीरता से सोचकर बनाएंगे। मप्र अपनी जल नीति बना रहा है। एक-दो महीने में ये नीति तैयार होगी। इसमें पानी को बचाने, बढ़ाने, बारिश के पानी को संरक्षित करने, सिंचाई में कम पानी कैसे लगे? इसपर काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने सभी मंत्रियों से कहा कि कल आप सब लोग मेरे साथ पेड़ लगाएं। जहां आप लोग पेड़ लगाएंगे, उस गार्डन का नाम हम वाटर विजन गार्डन रखेंगे। सत्र शुरू होने के पहले हम सब पेड़ लगाकर जल बचाने का संदेश पूरे देश को देंगे।
भारत पानी के क्षेत्र में 16 हजार करोड़ का निवेश कर रहा
इस अवसर पर केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि वाटर बॉडी की स्टॉरेज कैपेसिटी कम होना चिंता का विषय है। भारत जैसे बड़ी आबादी वाले देश में बढ़ती हुई इकॉनामी के साथ भोजन का भी पैरामीटर बदल रहा है। इस बदलते हुए परिदृश्य में आज भोजन का आकलन किलोग्राम या उसकी क्वांटिटी पर नहीं होता, उसकी न्यूट्रीशन पर होता है। इसी तरह आने वाले समय के विकसित भारत में हमें पानी को लेकर भी फोकस करना होगा। उन्होंने कहा कि हम सब जानते हैं कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। आज पूरा विश्व इस बात को स्वीकार करता है कि 2027 तक हम जापान और जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने वाले हैं। इसके साथ पानी और बिजली की खपत भी बढ़ेगी। इसे देखते हुए हमें समग्र रूप से प्रबंधन की जरूरत है। आज पानी पर काम करने के लए पहली जरूरत ये है कि हम अपने रिसोर्स को पहचानें। जब हम अपने रिसोर्स को जान पाएंगे, तब हम वाटर मैनेजमेंट की दिशा में काम कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि पानी के क्षेत्र में भारत दुनिया में सबसे ज्यादा निवेश करने वाला देश है। 16 हजार करोड़ का निवेश भारत पानी के क्षेत्र में कर रहा है। हमें पानी के स्टोरेज पर काम करना है। हम छोटे स्टोरेज पर फोकस करें। भूगर्भ के जल को लेकर काम करने की जरूरत है। जिस तरह से वाटर बॉडीज की स्टोरेज कैपेसिटी घट रही है, चिंताजनक है।

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