लेखक की कलम से

यमुना तट पर धीरे से …

श्याम भजन

 

मेरो मन मोह लियो,

श्याम तेरे नैन कटीले।

 

पलक उठे तो दिन हो जाये,

पलक झुके तो रात हो जाये,

मैं तो लुट ही गयी,

ये हैं बड़े मटकीले।

 

यमुना तट पर धीरे से जाए,

सब गोपिन के चीर चुराए,

कैसे बचूँ इनसे,

तेरे नैन चटकीले।

 

माखन ब्रिज गोपिन को चुराए,

फिर भी सब के मन को भाये,

मन को चुराय लियो

नैना तेरे छबीले।

 

रस से भरे तेरे नैन रसीले,

चंदा से बढ़ कर चमकीले,

खुद को भूल गयी,

इतने हैं ये नशीले।

 

सकुचीले,सरसीले नैना,

सुरमीले गरबीले नैना,

हिय पर वार करें,

तेरे नैन नुकीले।

 

©स्वर्णलता टंडन                                                               

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