दुआएं पूरी नहीं होती …
दुआएं पूरी नहीं होती
आजकल !
सभी हाथ, हृदय, मन, प्राण के
कोने-कोने से दुआएं मांग रहे !
अपने इष्ट देव से….
पर कबूल नहीं होती दुआएं
आजकल !
सुना था दुआओं में जोर होता है
“वह” सब की सुनता है….
पर आजकल अनसुनी कर रहा !
परंपराओं को तोड़ रहा !
चुप्पी साधा है !
प्रकोप पर अड़ा है !
सब चीख-चीख कर मांग रहे हैं दुआएं !
क्रंदन कर, पुकार रहे दुआएँ !
पर कबूल नहीं करते दुआओं को आजकल !
आज ही सुना किसी का सुहाग उजड़ा,
तो कहीं कोई पुत्र शौक से सशंकित,
कहीं बिलखती माता का दुख,
तो कहीं परिवार का परिवार ही शून्य,
सर्वस्व कोलाहल है,
साफ नजर आ रहा है,
दुआओं में अब तनिक भी जोर नहीं है !
सभी तामझाम को त्याग,
सच्चे हृदय से कर रहे जाप !
फिर भी ना जाने क्यों असर नहीं
दिखता दुआओं का आजकल !
वही चीख, वही पुकार,
त्राहि-त्राहि में जग संसार,
सर्वओर मौत का तांडव, हाहाकार,
दीन, दुखी, धनी हैं लाचार!
पर विकल हो दुआएं मांग रहे हैं !
पर कबूल नहीं होती आजकल दुआएं …
©अल्पना सिंह, शिक्षिका, कोलकाता