लेखक की कलम से

मेरा प्रयागराज …

जन्म जहां लिया है मैंने, उसके मुकुट में गंगा साजा,

गंगा जमुना सरस्वती, त्रिवेणी संगम, ये है तीरथ राज प्रायागा!

 

देव दनुज, किन्नर, नर नारी, आवै सहित समाजा,

ऋषि तपस्वी, ज्ञानी विज्ञानी, आवै भूप व राजा,

गंगा जमुना सरस्वती, त्रिवेणी संगम, ये है तीरथ राज प्रयागा!

 

अलोप शंकरी, मां कल्याणी, मां ललिता का बजता बाजा

नागवासुकी, वेणी माधव हनुमान जहां के राजा,

गंगा जमुना सरस्वती, त्रिवेणी संगम, ये है तीरथ राज प्रयागा!

 

जहां धर्म, कर्म, तप, दान, पुण्य, करने से कोई ना भागा,

तन, मन, धन सर्वस्व न्योछावर कर दे जहां पे राजा,

गंगा जमुना सरस्वती, त्रिवेणी संगम, ये है तीरथ राज प्रयागा!

 

 

©क्षमा द्विवेदी, राजप्रयाग                

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