लेखक की कलम से
नमामि गंगे …
अभीरु अंगे
हो देवपगा तुम
नमामि गंगे ।
गंगा पावनी
समृद्धि प्रदायिनी
पाप नाशिनी ।
सुख कारिणी
शिव जटा वासिनी
दुख हारिणी ।
हे निष्कामिनी !
युग युग प्रवाहिनी
हर्ष वाहिनी ।
जग तारिणी
मृदु जल धारिणी
सु संचारिणी ।
गौरी भगिनी
है सुख संवाहिनी
शंभू संगिनी ।
निर्मल मन
हो भागीरथी तुम
कोमल तन ।
©डॉ. रीता सिंह, आया नगर, नई दिल्ली, अस्सिटेंड प्रोफेसर चंदौसी यूपी