लेखक की कलम से

भवन आपका बन रहा …

 

धेनु धरा सत धर्म पर, होता अत्याचार ।

तब नारायण जगत में, लेते हैं अवतार ।।

 

विवस विकल हो कर धरा, करती करुण पुकार ।

हे दीनो के नाथ फिर, आ जाओ एक बार ।।

 

शेष शयन अब छोड़िए, कसो तीर तूणीर।

अब फिर से संकट पड़ा, धरती हुई अधीर ।।

 

वही अयोध्या धाम है, अरु सरजू को तीर ।

भवन आपका बन रहा, आ जाओ रघुवीर ।।

 

भारत मां की गोद है, पावन परम पवित्र ।

नवमी तिथि भी पास है, करिए बाल चरित्र ।।

©मनीषा भट्ट, बिलासपुर, छत्तीसगढ़

Back to top button