लेखक की कलम से
मेरी देह बसंत के फूलों सी…
प्रकृति के बेहतरीन रंगों का मिश्रण है
हरा रंग बारिशों में धुलने के बाद
हृदय में घुलने लगता है
जैसे सर्दियों की बारिश में
धीरे-धीरे सर्दी घुल कर हवा होने लगती है
बसंत के खिले फूल निमंत्रण है
प्रेम को प्रेम में सरोबार होने का
दूर तलक बस महकते फूल
प्रेम से लदी झुकी डालियाँ
बताती हैं कि प्रेम किस तरह किया जाना चाहिए
प्रेम में सिर्फ दिया जाता है
लिया नहीं जाता
रंग ही रंग हर तरफ
लाल- पीले- नीले रंग
बसंत को एक प्रेमी भी कह सकते हैं
एक अनदेखा अजनबी जो ना कभी आया
और ना शायद कभी आयेगा
मन मगर फिर भी फूलों को देखता है तो
सपने लेने लगता है जिनका हकीकत से कोई वास्ता नहीं
बसंत एक सुंदर सपना…
©सीमा गुप्ता, पंचकूला, हरियाणा