लेखक की कलम से
जीवन संगीत …
कविता
मृत्यु -ताण्डव में
मद्धम
जीवन संगीत
खुदा बनने की
ज़िद्द में
कैद जिंदगी
अपने चकव्युह में
है हैरान
परिंदे , जानवर
कहाँ छिपा ?
बुद्धिमान मानव
कठपुतलियां सभी
अदृश्य शक्ति की
उथल -पुथल संसार
थम गई रफ़्तार
वक्त के हाथ
सारा नृत्य
भटकता मन
जीवन -जंजाल
काबू मन
जीवन सार
एकांत की तलाश
अकेलेपन से
भीड़ बदल गई
चिड़िया की चहचहाहट
गिलहरी की चिक -चिक
कोयल की कूक में
जारी रहता है
जीवन सफर
जारी रहता है
जीवन संगीत
प्रकृति कभी
वीरान नहीं होती ||
©डॉ. दलजीत कौर, चंडीगढ़