लेखक की कलम से

कोरोना और कालयवन …

मगध नरेश जरासंध ने सोलह बार मथुरा पर आक्रमण किया और हर बार पराजित होकर वापस लौटा। सत्रहवीं बार वह अपने साथ एक अजेय, अमर योद्धा को लेकर मथुरा पर चढ़ाई करने चला आया।

दोनों सेनाओं के मध्य भीषण युद्ध हुआ, युद्ध के दौरान जब भगवान श्रीकृष्ण को अनुभव हुआ कि इस अजय योद्धा कालयवन को शस्त्रों के द्वारा मारा नहीं जा सकता। यह अवध्य है, किसी वरदान के कारण। तब अचानक भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी रणनीति बदली और प्रायोजित रूप से हल्ला मचाकर युद्ध का मैदान छोड़कर भागने लगे। उन्हें देखकर सारे योद्धा भी भाग खड़े हुए…।

भगवान श्रीकृष्ण कालयवन को चिढ़ाते हुए एक विशेष दिशा की ओर भागे, कालयवन उनकी हत्या करने और युद्ध जीतने के लालच में उनके पीछे-पीछे अपना रथ लेकर दौड़ा। आगे-आगे भगवान श्रीकृष्ण और पीछे-पीछे कालयवन…।

भागते-भागते भगवान श्रीकृष्ण एक विशिष्ट गुफा में घुस गए, वहां जाकर उन्होंने अपना पीतांबर (पीले रंग का उत्तरीय जो वे धारण करते थे) वहां पर सोते हुए एक व्यक्ति को ओढ़ाकर स्वयं छुप गए अंदर कही।

गुस्से से फनफनाता हुआ कालयवन जैसे ही वहां पहुंचा और उसने पीताम्बर ओढ़े उस व्यक्ति को देखा तो समझा की ये ही श्रीकृष्ण है तो उसने लात मारकर उस सोते हुए व्यक्ति को जगा दिया। वह व्यक्ति जब जागा तो उसने अपने को जगाने वाले कालयवन को ध्यान से देखा तब उसकी आंखों से एक विशेष ज्योति निकली जिससे कालयवन जल कर भस्म हो गया…।

इस प्रकार कालयवन मारा गया। यह सब देख भगवान श्रीकृष्ण बाहर निकल आए राजा मुचकुंद का अभिवादन किया और उन्हें सब कुछ समझाया। राजा मुचकुंद को देवराज इंद्र द्वारा दीर्घनिद्रा का आशीर्वाद मिला हुआ था। उन्हें वरदान था कि जो भी उनकी निद्रा भंग करेगा वह जलकर भस्म हो जाएगा…।

कालयवन को मारकर श्रीकृष्ण पुनः युद्धक्षेत्र में लौटे और अपने शंख पांच्यजन्य से विशिष्ट ध्वनि का उदघोष करके सभी योद्धाओं को पुनः बुला लिया और एक बार फिर जरासंध को हरा दिया। इस प्रकार मथुरा फिर से यह युद्ध जीती…!

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आप सभी जान लें कि हमारे शास्त्रों की ये कहानियां हैं कई गूढ़ रहस्य छिपाए हुए है। आज के परिपेक्ष्य में देखें तो पाएंगे कि कोरोना वायरस कालयवन के समान ही है, फिलहाल उसे मारा नहीं जा सकता, वह अवध्य है…किन्तु वह आप के हृदय में स्थित श्रीकृष्ण को मारने के लिए युद्ध के मैदान में सजग खड़ा है…।

ऐसे में उस से बचाव का केवल एकमात्र तरीका है और वह है राजा मुचुकन्द की तरह “आइसोलेशन” में अपनी गुफा में दीर्घनिद्रा में पड़े रहना…।

आइसोलेशन में ध्यान, साधना, प्राणायाम से “आत्मबल जागृत करना”…तब ही यह कलयुगी “कालयवन” को मारा जा सकता है…।

मेरे सभी आदरणीय जनों एवं प्रिय मित्रों यदी हमें कालयवन को हराना है और युद्ध जीतना है तो तत्काल पूर्ण रूप से अपनी गुफा अर्थात अपने घर मे सुरक्षित पड़े रहिए और कालयवन कोरोना को पराजित करने में सहयोग कीजिये…।

धैर्य से काम लीजिये और अपने पुरखों, महापुरुषों के बताए इन गूढ़ रहस्यों को समझिए…और श्रीकृष्ण की तरह ही अपने निश्चित विजय के प्रति आश्वस्त रहिए…।

©रीमा मिश्रा, आसनसोल (पश्चिम बंगाल)

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