कमाल की अदाकारा हूं कमाल करती हूं ….
लोग कहते हैं मुस्कान बहुत खूबसूरत है
खूबसूरत मुस्कान के पीछे दर्द का अलग अंदाज है
कमाल की अदाकारा हूं कमाल करती हूं,
हर बात पर एक परख दुखद होकर सुखद हैं
एक अंदाजा लगाकर बोलने वाले बहुत है
चुप चाप देखती हूं, कमाल की अदाकारा हूं कमाल करती हूं,
हर किसी को आंखों में उतार ले ऐसे हमने अंदाज नहीं है
हर कोई कोई किसी को समझ जाएं हर इंसान में वो बात नहीं हैं
कोई हमसे जान जाए बुलाएं ना भूल पाएं बस यहीं
कमाल की अदाकारा हूं कमाल करती हूं,
जाएं ऐसे हम जहा छाप दिल में छोड़ जाते हैं
हर हार को भी मुस्कान के साथ अपना लेते हैं
जीत को पाने की कोशिश भी ज़रूर करते हैं
कमाल की अदाकारा हूं कमाल करती हूं,
ज़िंदगी आसान किसी की नहीं है
कर्म भूमि पर माथा टेक ज्ञान लेते हैं
विश्वास ख़ुद पर रख मुस्कुरा देते हैं
कमाल की अदाकारा हूं कमाल करती हूं,
लोग ज़ुबान से कुछ भी बोल लेते हैं
पर ज़ुबान संभालना भूल जाते हैं
हम सही होकर गलत ठहराए जाते हैं
कुछ झूठ का मुखौटा लगा अपना समझते हैं
हम मुस्कुराकर सही वक्त का इंतजार करते हैं
उनको बुलेखे से ही सही जीता महसूस करवा देते हैं
कमाल की अदाकारा हूं कमाल करती हूं,
जो दागी होकर बागी भी बन जाते हैं
हासिल ए ज़िंदगी आसान समझ ते है
कह दे सच्ची कहानी में हर बार परियां नहीं आती है
ठोकर खाकर ही किरदार में जान जाती है
कमाल की अदाकारा हूं कमाल करती हूं,
अब तो संभल जाओ जनाब जी लो ज़िन्दगी है
यहीं कर्म फल भोगना होगा दिल दुखाया हैं
दिल तुम्हारा भी दुखता होगा, बताओ मत जमीर है
जवाब सबको अपना जवाब ही देना होगा
चुप क्यों बैठे गए कर्म ख़ोज रहे हो?
छुप नहीं सकता सच कहो या नहीं कहो?
कमाल की अदाकारा हूं कमाल करती हूं
©हर्षिता दावर, नई दिल्ली