महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार ने साबित किया सशक्तिकरण का नारा खोखला …
महिला सशक्तीकरण की चर्चा लगतार की जाती है .. देश के कोने कोने में की जाती है। सरकार से लेकर संस्थाओं तक में होती है। महिलाओं को एक तरफ समाज में बहुत सन्मानित एवं उत्साहित किया जाता है वहीं दूसरी तरफ उन पर होने वाले बलात्कार और हत्या के मामले में तेजी से इजाफा भी हो रहा है। कहा जाता है कि देश की तरक्की तभी हो सकती है जब महिलाओं का विकास हो।
परंतु भारत में महिलाओं की तरक्की तो दूर उन पर बलात्कार और हत्या के आंकड़े चौका देने वाले सामने आए हैं। आंकड़ों के मुताबिक भारत महिलाओं के लिये अब सुरक्षित देश नहीं रह गया है।
उल्लेखनीय बात यह है कि महिलाओं पर हो रही हिंसा और बलात्कार को कई बार कम गंभीरता से लिया जाता है। और पुलिस महिलाओं के मामलों की जांच में भी संवेदनशीलता की कमी दिखाई देती है। महिलाओं के खिलाफ अपराध के दर्ज मामलों में हत्या,बलात्कार, दहेज हत्या,आत्महत्या के लिये, उकसाना,एसिड अटैक जैसे अपराध शामिल हैं। महिलाएं जितनी चाहिए, उतनी समाज और घर में सुरक्षित नहीं है। लिहाजा चिंता तो तब बढ जाती है, जब हैवानों के निशाने पर मासूम बेटी और दूध पीती 3 से 5 साल तक की बच्चियां भी नहीं छूट रहीं। परिजनों के लिए घर में जन्मी हुई बेटी को सुरक्षा देना एक चुनौती बन गई है। परिजन बेटियों को पढ़ाने के लिए कोशिश करते हैं, लेकिन बाहर गयी बेटी घर तक सुरक्षित वापस आयेगी कि नहीं.. इसी आशंका से हमेशा डरे डरे से भी रहते हैं।
अपने देश की राजधानी दिल्ली में साल 2012 के अंतिम महीने में चलती बस में पैरा मेडिकल की छात्रा के साथ बर्बर सामूहिक बलात्कार और हत्या के बाद लाखों लोग महिला सुरक्षा की और न्याय की मांग को लेकर सडक पर उतर आये थे। देश में महिलाओं के खिलाफ हिंसा,बलात्कार,हत्या,के मामले में सख्त कानून और फास्ट ट्रेक बनाने की मांग की गयी। उसका असर था कि उसके बाद महिलाओ खिलाफ हिंसा को लेकर कानून सख्त किये गये। लेकिन इसके बावजूद महिलाओं के खिलाफ हिंसा और बलात्कार अब भी बेरोकटोक जारी है।
निर्भया कांड के बाद इस साल 2020 जनवरी में हैद्राबाद कांड के बाद उत्तर प्रदेश के उन्नाव में घटना हुई, इसमें पहले रेप किया फिर पीडिता को बलात्कारियों ने जिंदा जला दिया, जबकि पीड़िता सूनवाई के लिये उन्नाव से रायबरेली कोर्ट जा रही थी। जलती हुई पीडिता एक किलोमीटर तक पैदल चलकर मदद की गुहार लगाती रही तब जाकर उसे मदद मिली। किसी एक ग्रामीण के फोन से ही पीडिता ने स्वयं फोन किया। तब तक वह 90 फिसदी जल चुकी थी। आखीरकार उसकी मौत हो गयी
इसी घटना के पहले 2019 नवंबर में तेलंगना राजधानी हैद्राबाद में एक डॉक्टर महिला पर सामूहिक बलात्कार करके उसकी हत्या कर दी। शव को ट्रक में डालकर आरोपी घुमते रहे फिर सुनसान जगह देखकर उस शव को जला दिया।
उत्तर प्रदेश के हाथरस में कथित सामूहिक बलात्कार पर पूरा देश गुस्से से उबल रहा है। लोगों के जारी आक्रोश के बीच दिल को झकझोर देने वाली पास के बलरामपूर गांव में भी एक और सामूहिक बलात्कार की घटना हुई।
इसके साथ और एक घटना राजस्थान से सामने आई है। बाडमेर जिले के शिवधाना क्षेत्र में दो युवकों ने 15 वर्षीय नाबालिग लडकी का अपहरण करके उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया। साथ ही नाबालिग की अश्लील तस्वीरें भी खींची। घटना उस समय हुई जब नाबालिक लड़की अपने घर में अकेली थी
एनसीआरबी के आंकडे बताते हैं कि देश में साल 2018 की तुलना में 2019 में महिलाओ पर अत्याचार की घटनाओं में अच्छी खासी बढत हुई है। वही देश में अपराधो को लेकर जारी सरकारी आकडो में जो जानकारी सामने आई है वह चिंता को और बढाने वाली है। साल 2019 में भारत में रोजाना औसतन 87 दुष्कर्म के मामले सामने आये और महिलाओ के खिलाफ अपराध के
4,50 861 मामले दर्ज किये गये।
यह जाणकारी एनसीआरबी (राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्युरो) कि और से सामने आई है। आकडो के अनुसार साल 2018 की तुलना में साल 2019 में महिलाओ के खिलाफ अपराध में दर सात फिसदी से ज्यादा बढे है। यह चिंता की बात है इस पर सरकार और समाज को पूरी ईमानदारी से कोई प्रयास शुरू कर देना चाहिए
एनसीआरबी की और से 29 सितंबर को जारी ( भारत में अपराध – 2919 ) नामक यह रिपोर्ट बताती है कि पिछले साल देश में महिलाओ के खिलाफ अपराधो में 7.3 फिसदी बढोतरी हुई है।साल 2019 में प्रति एक लाख की आबादी पर दर्ज महिलाओ के खिलाफ अपराधो की दर 6 .4 वही 2018 में यह दर 38 . 8 फिसदी रही थी
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्युरो ( एनसीआरबी ) की स्थापना 1986 में हुई जो हर साल अपराध से संबंधित आंकडे जारी करती है। इसका काम पुरे देश में अपराधो का डाटा एकत्र करना और उसका अध्ययन करना है।
एनसीआरबी (राष्ट्रीय अपराध ब्युरो ) के मुताबिक आईपीसी ( भारत दंड संहिता ) के तहत देशभर में अपराधो के कुल 30,62,579 मामले दर्ज हुए।
जब कि 2016 में यह आकडा 29, 75,711 था जहाँ तक राज्यो का सवाल है तो अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है। जहाँ अपराध के कुल मामलो के करीबी 10 फिसदी यानी 3,10 ,084 केस दर्ज हुए। उत्तर प्रदेश के बाद नंबर महाराष्ट्र,मध्यप्रदेश,केरल और दिल्ली का है।
©हेमलता म्हस्के, पुणे, महाराष्ट्र