लेखक की कलम से

सावन में कैसे झूलें झूला …

पर्यावरण दिवस पर विशेष

पल-पल तू पेड़ काटे कैसे सुख पायेगा,

अनजाने में कर रहा हत्या कैसे सुकून पायेगा।

 

घर के द्वारे पेड़ लगा था जो तूने कटवाया है,

सावन में झूले कैसे झूला कैसे मस्ती पायेगा।

 

जंगल काटे,उपवन काटे और बना दी कॉलोनिया,

प्रदूषण को तूने बड़ाया कैसे आक्सीजन पायेगा।

 

पेड़ हमको फल-फूल देते और देते खुशियाँ,

सब मिलकर पेड़ लगाओ तू हरियाली पायेगा।

 

पांच जून को हम सब मिलकर यह शपथ लेते है,

पर्यावरण दिवस मनाकर इसका मह्त्व जान पायेगा।

 

©झरना माथुर, देहरादून, उत्तराखंड                             

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