लेखक की कलम से

दक्षिण एशिया में शांति के लिए हुसैनीवाला बॉर्डर पर लोग जलाएंगे मोमबत्ती : 13 की सुबह राजघाट ,दिल्ली से हुसैनीवाला तक शुरू होगी अमन यात्रा …

हेमलता म्हस्के। स्वतंत्रता की 75वीं जयंती वर्ष के अवसर पर आगाज-ए- दोस्ती यात्रा 13 अगस्त से 15 अगस्त 2021 तक महात्मा गांधी की समाधि राजघाट से चलकर शहीद भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव के समाधि स्थल हुसैनीवाला, फिरोजपुर तक पहुँचेगी और वहाँ 14-15 अगस्त की मध्यरात्रि को दीप जलाकर आज़ादी का उत्सव , स्वतन्त्रता सेनानियों के प्रति सम्मान और दक्षिण एशियाई शांति एवं सदभावना का प्रतीक बनेगी। यह जानकारी आगाज ए दोस्ती के संयोजक रवि नितेश ने कही।

उन्होंने बताया कि इस यात्रा के पड़ाव में पंजाब एवं हरियाणा के अनेक छोटे बड़े गांव, कस्बे और शहर हैं, जहां इस यात्रा के नेतागण शांति, लोकतंत्र ,बंधुता एवं समानता का संदेश देंगे।

यह यात्रा कोई पहली बार नहीं हो रही, अपितु इसका प्रारंभ सन 1980 के दशक में प्रसिद्ध पत्रकार एवं शांतिकर्मी स्व कुलदीप नैय्यर तथा सुविख्यात गांधीवादी दीदी निर्मला देशपांडे ने किया था। जिसमें डॉ मोहिनी गिरी, डॉ सईदा हमीद,  रमेश चंद्र शर्मा,  सतपाल ग्रोवर एवं  रमेश यादव सरीखे  शांतिकर्मी ‘गोली नहीं – बोली चाहिये’, ‘जंग नहीं – अमन चाहिए’, ‘युद्ध नहीं – बुद्ध चाहिए’ के नारों के साथ सहभागी रहे।उसी यात्रा की श्रृंखला में  इस यात्रा के प्रवाह को आगे बढ़ाने के लिए आगाज़ -ए -दोस्ती के नेतृत्व में अन्य साथी व संगठन आगे बढ़ा रहे हैं।

भारत की आजादी का मतलब पूरे विश्व में दासता ,रंगभेद, नस्लवाद एवं हर प्रकार की असमानता के विरुद्ध एक क्रांतिकारी सूत्रपात था। महात्मा गांधी ने इस अवसर पर कहा था कि भारत को आजादी इसलिए चाहिए ,ताकि वह दुनिया की सेवा कर सके।  प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस स्वर को मजबूती देते हुए कहा कि भारत का स्वतंत्रता संग्राम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लड़े जा रहे साम्राज्यवाद विरोधी संघर्ष का हिस्सा है। इसीलिए रूस के क्रांतिकारी लेनिन, अमेरिका के सामाजिक विचारक डॉ डब्ल्यू ओ वायस , मार्टिन लूथर किंग जूनियर तथा अनेक देशों के विचारक इसे उसी रूप में समर्थन देते रहे। भारत की आजादी के बाद दुनिया भर के गुलाम देशों की गुलामी की जंजीरे ताबड़तोड़ टूटनी शुरू हो गई।

रवि  नितेश ने कहा कि  15 अगस्त 1947 को विश्व स्तर पर भारत के रूप में एक नवोदित राष्ट्र बना। पर अफसोस भी रहा कि इसका विभाजन भी इसके साथ हुआ। इस पूरे भू -भाग की जनता जिसकी साँझी संस्कृति -साँझी  विरासत आज भी दिलों में जिन्दा है , उसने आज़ादी की लड़ाई भी साँझी लड़ी थी लेकिन विभाजन के बाद इन देशों ने आपस में युद्ध भी लड़े और तनाव की स्थिति तो अक्सर बनी ही रही। इसके विपरीत दक्षिण एशिया के तमाम देशों की जनता आपस में मित्रता एवं लोक व्यवहार की चाहत के प्रति उत्सुक रही।  आज वक्त का यह तकाजा है कि जनता के स्तर पर अमन और दोस्ती के प्रयास जारी रहें और उसी के निमित्त यात्रा दल के सभी साथी आपमें मैत्री एवं स्नेह बांटने के लिए आए हैं ।

12 अगस्त सांय: 5 बजे राजघाट से विभिन्न गणमान्य विचारकों द्वारा यात्रियों को शुभकामना सन्देश देकर औपचारिक रूप से यात्रा प्रांरभ होगी। हमे प्रसन्नता है कि इस यात्रा की सफलता के लिये  देश-विदेश से तमाम शांति प्रेमियों और विद्वत जनों के शुभकामना संदेश प्राप्त हुए हैं और देश के अनेक संगठनों ने अपना समर्थन दिया है ।

इस वर्ष की आग़ाज़ -ए -दोस्ती यात्रा रास्ते भर विश्व शांति , वसुधैव कुटुंबकम , सांप्रदायिक सौहार्द्र ,भाईचारा का सन्देश देते हुए निकल रही है। इस वर्ष भी इस यात्रा में देश के विभिन्न हिस्सों से और विभिन्न आयु वर्गों के शांति कर्मी शामिल हो रहे हैं। हुसैनीवाला भारत -पाक सीमा पर स्थित शहीद स्थल पर रात को मोमबत्तियाँ और दीप जलाकर आज़ादी का उत्साह मनाया जायेगा , अपनी साँझी संस्कृति और साँझी विरासत को याद किया जायेगा और अपने आज़ादी के आंदोलन में शहीद हुए नायकों को श्रद्धांजलि दी जायेगी, इस उम्मीद के साथ कि हम सब मिलकर आने वाले कल को और ज़्यादा मानवीय , प्रगतिशील, खुशहाल, सुरक्षित और सद्भावपूर्ण बना पायें और अपनी दुनिया को से नफ़रत , हिंसा , हथियार और युद्ध से मुक्त कर पाएँ ।

इस कार्यक्रम के सहभागी संगठन आग़ाज़ ए दोस्ती, एसोशिएसन ऑफ़ पीपल आफ एशिया, भगत सिंह से दोस्ती मंच, गाँधी ग्लोबल फेमिली, देस हरियाणा , गिल्ड आफ सर्विस, हाली पानीपती ट्रस्ट, हरिजन सेवक संघ, खुदाई खिदमतगार (हिन्द), मिशन भारतीयम, राष्ट्रीय युवा योजना, निर्मला देशपांडे संस्थान, यूनाइटेड रिलीजन इनिशिएटिव, वीमेन इनिशिएटिव फॉर पीस इन साउथ एशिया आदि हैं।

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