पुत्र मोह में सत्यानाश …
कौन बताए इस धृतराष्ट्र को पुत्र मोह लेता है प्राण ।
पुत्र मोह में फंसकर कैसे करवाते अपने कुल का नाश ll
सत्ता की कुर्सी कैसे हरती अपनों से अपनों का प्यार ।
भाई-भाई शत्रु बनकर लड़ते रहते बीच बाजार ll
अयोग्य पुत्र को गद्दी सौंपना जब बनता जीवन का लक्ष्य ।
अपने सहित देश की मर्यादा भेदती रहती है बनकर लक्ष्य ll
राजमुकुट पाने की इच्छा करवाती है अनैतिक काम ।
भ्रष्टाचार और अन्याय सहारा करवाती है अनैतिक काम ll
बस केवल अपना ही फायदा साधने को मन बेचैन।
मन में दबी सारी इच्छा को पूरा करने से ही चैन ll
उस धृतराष्ट्र के तो नैन नहीं थे महत्वाकांक्षा था भरा पड़ा ।
इस धृतराष्ट्र के तो नैन भी है फिर भी पुत्र मोह से दवा पड़ा ll
कुशल नेतृत्व पीछे करके जब आते हैं पुत्र मोह ।
देश धर्म के लिए ही संकट खड़ा करवाते पुत्र मोह ll
अयोग्य बना उस योग्य से भारी युधिष्ठिर को मिलना बनवास ।
कालचक्र की घटना बताता करवाएगा सत्यानाश ll
एक-एक कर सारे बंधु छोड़ मिला पांडु के साथ ।
अब तो दुर्योधन का टूटा जंघा गंधारी का पट्टी खास ll
पट्टी खोलो गंधार कुमारी हो रहा है सर्वनाश ।
पुत्र मोह को छोड़ तुम अब तो करो देश का ध्यान ll
पुराने युग के कई उदाहरण पुत्र मोह ने लिया प्राण ।
गुरु द्रोण का पुत्र मोह बना उनके वध का सामान ll
पुत्र मोह कितना गहरा था उस प्रतापी दशरथ में ।
पुत्र विछोह में प्राण त्याग दिए उस प्रतापी दशरथ ने ll
उनके पुत्र तो रामचंद्र थे उस पर उनका था अभिमान ।
आज पुत्र तो मंदबुद्धि है फिर भी है तुमको गुमान ll
नेक सिख लो इतिहास से तुम मत करो आर्यावर्त का नाश ।
इतिहास तुम्हें फिर धृतराष्ट्र बनाकर पूछेगा कैसे किया आर्यावर्त का नाश ll
वर्तमान सहित इतिहास के तुम खलनायक बन जाओगे ।
आने वाले समय में तुम प्रश्न ही बनकर रह जाओगे ll
अभी समय है अभी वक्त है नेक काम कर जाओ ।
फिर आने वाले भविष्य में तुम धृतराष्ट्र कहलाने से बच जाओ ll 3
©कमलेश झा, शिवदुर्गा विहार फरीदाबाद