लेखक की कलम से
कोहरे की लिहाफ मुबारक
सर्द कुहासों को देखना आसान होता है
दूर घर से होता है जब कोई मचलता रहता है
मन के कुहासे तन की परतों में छुपा है
जिंदगी की कशमकश को कौन बोता है!
©लता प्रासर, पटना, बिहार
सर्द कुहासों को देखना आसान होता है
दूर घर से होता है जब कोई मचलता रहता है
मन के कुहासे तन की परतों में छुपा है
जिंदगी की कशमकश को कौन बोता है!
©लता प्रासर, पटना, बिहार