लेखक की कलम से
कठिन समय …
समय कठिन है
पर दिल कहता है
यह भी गुजर जाएगा..
निश्चित ही गुजरा वक्त कहलाएगा…
अनगिनत सीख देता जाएगा!
रात अंधियारी है,
घनी है, काली है!
मौत का खौफ है!
असमंजस निराली है!
तूफानी हवाओं का शोर है!
उड़ते पत्थर, कागज़,धूल में भी होड़ है!
किंतु हृदयाघात से एक चीख निकलती है!
यह निशा भी ढलेगी,
रश्मिओं के करतालों से सजेगी!
सुनो!
विकटताओं में सब साथ छोड़ जाते हैं
कलम नहीं,
वह हमारी ताकत है,
संगी है,साथी है!
हृदयाग्नि को धधकाती है!
झंझावातओं की धुंध में असंख्य आशादीप जलाती है!
तिमिर की सत्ता को डामाडोल कर,
नूतन आयामों का दिग्दर्शन कराती है!
समय कठिन है!
पर दिल कहता है..
यह भी गुजर जाएगा…
निश्चित ही गुजरा वक्त कहलाएगा..
©अल्पना सिंह, शिक्षिका, कोलकाता