लेखक की कलम से

मिथ्या संसार परोपकार जीवन आधार …

आज मिला कल न होगा आने वाला पल

अनदेखा होगा।

चला गया पल उद्डित करता।

आने वाला मिथ्या समान,हाड माँस का

नही भरोसा कब निर्झर होवे प्राण

आज मिला जो स्वर्ण समान

कल की फ्रिक मे आज गंवाते

पल पल स्वांस की गागर से चिता मे स्वांस

व्यर्थ हो जाते।

आज संवारे परोपकारी बन कर

कल संवरता जाएगा।

आखिर कतार मे खडे हो तब भी

काल अवश्य डस जाएगा।

प्यार बो कर ,भक्ति बीजे अनंतकाल तक

खुशियाँ सीचे आज संवारे खुशी मे जी ले।

आनंद मौज मे रहना सीखो।जो मिला

उसे सहना सीखो, संतोष को धारण करके

संतुष्ट मगन मन रहना सीखो।

 

©आकांक्षा रूपा चचरा, कटक, ओडिसा

Back to top button