लेखक की कलम से

हार में निराश न हो …

 

हार में निराश न हो

जीत में उल्लास न हो

छाता वही है नभमंडल में

जिसके हताशा पास न हो ।

तू कर यकीं और सीखता चल

चाहे कोई साथ न हो

हार जाते वो जगत में

ख़ुद में जब विश्वास न हो ।

  

धैर्य ना खो , आस रख तू

ख़ुद में ही विश्वास रख तू

संघर्ष पथ में साथ जो दे

बस उन्हीं को पास रख तू ।

वो जवानी क्या जवानी

गर खून में उबाल न हो

कौन डरेगा उस सागर से

गर गर्भ में भूचाल न हो ।

 

पर्वतों को चीर के तू

रास्ता आर पार कर दे

मनु की संतान है तू

तैर समुद्र पार कर दे ।

नाकामी से ना घबरा

संघर्ष कर तू , सर उठा

तुझ में वो ताकत है जो

पत्थर को करतार कर दे ।

©देवकरण गंदास, बाड़मेर, राजस्थान

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