मध्य प्रदेश

‘मुझे चिंता होती है कि कहीं नपुंसक न हो जाऊं’ जैसे प्रश्न पूछे छात्राओं से

आंतरिक मूल्‍यांकन पेपर में छात्राओं से आपत्तिजनक प्रश्‍न पूछने का मामला गरमाया

भोपाल। मध्यप्रदेश के खंडवा के कन्या महाविद्यालय में व्यक्तित्व विकास के प्रश्न पत्र में आपत्तिजनक प्रश्न पूछे जाने का मामला सामने आया है। छात्राओं की शिकायत पर प्राचार्य ने प्रश्नपत्र निरस्त करा दिया है, लेकिन मामले को दो दिन होने के बाद भी संबंधित प्रभारी पर कोई कार्रवाई या पूछताछ नहीं हो सकी है। इधर, प्राचार्य एके चौरे का कहना है कि नई शिक्षा नीति में मनोविज्ञान विषय में इस तरह के प्रश्नों का उल्लेख है।
ज्ञात हो, नई शिक्षा नीति के तहत मनोविज्ञान विषय में प्रथम व द्वितीय वर्ष में लगभग 700 छात्राएं कन्या महाविद्यालय में पढ़ाई कर रही हैं। इनके प्रायोगिक विषय के लिए प्रस्तावित प्रश्नावली प्रथम वर्ष की छात्राओं के ग्रुप पर डाली गई। इसके आधार पर ही 30 नंबरों के आंतरिक मूल्यांकन का आंकलन किया जाना था। इस प्रश्नावली के बाद परीक्षा भी आयोजित होना थी। मनोविज्ञान के एक प्राध्यापक ने एक लेखक की लिखित प्रश्नावली का चयन कर इसे ग्रुप पर डाल दिया, जिसका उत्तर हां या ना में छात्राओं को भरना था। उसमें कुछ प्रश्नों पर छात्राओं ने आपत्ति ली। इसी को लेकर प्राचार्य को पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें अयोग्य व असक्षम प्रोफेसर से पढ़ाई कराने के साथ ही यह सब सिलेबस में नहीं होने का आरोप भी लगाया। बाद में इस प्रस्तावित प्रश्नावली को निरस्त कर दिया गया।
छात्राओं से इस तरह के पूछे गए प्रश्न
– मुझे कभी-कभी यह चिंता होती है कि कहीं मैं नपुंसक न हो जाऊं।
– विपरित लिंग के व्यक्ति से मिलने पर मुझे कुछ घबराहट-सी मालूम होती है।
– कभी-कभी मैं यह सोचकर परेशान हो जाता हूं कि क्रोध में किसी की हत्या न कर दूं या भारी नुकसान न पहुंचा दूं।
– बुढ़ापे से शारीरिक शक्ति क्षीण होने की संभावना मुझे सताया करती है।
छात्राओं की आपत्ति पर निरस्त कर दिए गए प्रश्न
कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. एके चौरे का इस संबंध में कहना है कि छात्राओं की आपत्ति पर हमने इसे निरस्त कर दिया है। इस संबंध में व्याख्याता से पूछताछ की है। लेखक की प्रश्नावली भी देखी जा रही है। मनोविज्ञान में इस तरह के प्रश्न होते हैं, फिर भी पूरी जानकारी लेकर कार्रवाई की जाएगी।

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