लेखक की कलम से

फिर भी विकास ही…

विकास ही नज़र आयेगा

 फिर भी देश वासियों,

 विकास ही नज़र आयेगा।

 

आज़ादी के मूल्यों का,

देश क्या -क्या मूल्य चुकायेगा।

अब तक देश ही जानता है।

राजनीतिक दलों द्वारा,

कितना घसीटा जायेंगा।

 

फिर भी देश वासियों,

विकास ही नज़र आयेंगा।

 

सभ्यता की आड़ में,

विदेशी रंग चमचमायेंगा।

अपना देश गंदा,

विदेश साफ ही नज़र आयेंगा।

मेरा भारत झाड़ू पकड़ के,

स्वच्छता अभियान चलायेंगा।

 

फिर भी देश वासियों,

विकास ही कहलायेंगा।

 

शिक्षा जो आधार है,

एक देश के विकास का।

मानवता के बौद्धिक उत्थान का।

आरक्षण से कौशल का,

नाश कर जायेंगा।

योग्य रह जाएंगा पीछे,

सरकारी पदों पे,

आरक्षण का कोढ़ चढ़ आयेंगा।

 

फिर भी देश वासियों,

विकास ही नज़र आयेंगा।

 

कानूनों को अनुछेदों में रखकर।

रिश्वत का कानून बन जायेंगा।

जुर्म, अत्याचार, बलात्कार का,

ग्राफ चाहे, बढ़ता ही जायेंगा।

 

फिर भी देश वासियों,

विकास ही नज़र आयेंगा।

 

नैतिकता के मानों पर,

सकींर्णता के पैमाना लग जायेंगा।

वेदों की जगह,

मैजिक बाबा आ जायेंगा।

मन की शांति का तो तो पता नहीं

पर शांति संग पकड़ा जायेंगा।

 

फिर भी देश वासियों,

विकास ही नज़र आयेंगा।

 

झूठ के पीछे भीड़ होगी।

सच अकेला रह जाएगा।

जीवन की इस दौड़ में,

आदमी मशीन बनकर रह जायेंगा।

कोई समझेगा उसे,

यह सोच सपना बनकर रह जायेंगा

 

फिर भी देश वासियों,

विकास ही नज़र आयेंगा।

 

सरकार की नीतियों के फेर-बदल में,

आम आदमी पिस कर रह जायेंगा।

मेरे जैसा कोई भुलक्कड़,

जमा किया, एक हज़ार,

रख कर भूल जायेंगा।

फिर मिलने पर उन,

कागज़ के टुकड़ों से क्या पायेंगा।

काला धन मिला या नहीं।

किसी गरीब का एक सिक्का भी जायेंगा।

 

फिर भी देश वासियों,

विकास ही नज़र आयेंगा।

 

जो समाज में चाहते है,

बदलाव आयें।

वो चर्चाये, विवादों तक ही रह जायेंगा।

जिनकी कोई नहीं सुनता।

वो विचारवान फेसबुक पर नज़र आयेंगा।

गूग्गल जिस विकास को ढूँढ रहा है।

वही विकास,

विकास को खोजता नज़र आयेंगा।

 

कुछ इस तरह से विकास,

विकास कर पायेंगा।

 

एक दिन विकास जरूर जीत जायेंगा।

©प्रीति शर्मा “असीम”, सोलन हिमाचल प्रदेश

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close
Back to top button