लेखक की कलम से

मास्क ….

मास्क का विचार नहीं,

सुविचार था……

उनकी मांग नहीं,

भूख थी…

उनकी ख्वाहिश,

हिंसा, क्रांति, विद्रोह

मात्र परिवर्तन हेतु..

स्पर्धा मात्र उद्धार हेतु!

स्वतंत्रता मात्र स्वतंत्रता हेतु!

व्यवस्था मात्र सजीवता हेतु!

रूपांतरण मात्र निर्धनता हेतु!

जीवन मात्र सुदूर यात्रा हेतु!

आकांक्षा  मात्र   स्वप्न  हेतु!

आक्रोश   मात्र   मान  हेतु!

आवेग मात्र इंसानियत हेतु!

समाज मात्र परिवर्तन हेतु!

गठन  मात्र   उद्धार    हेतु!

धर्मसंगम मात्र मानव  हेतु!

एकबध्यता मात्र समता हेतु!

ध्वंस  मात्र  अभिजात्य हेतु!

वर्गविषमता मात्र उन्मूलन हेतु!

मास्क-व्यक्तित्व  मानवता  हेतु…..

©अल्पना सिंह, शिक्षिका, कोलकाता                           

Back to top button