मध्य प्रदेश

पीएम मोदी ने कहा- महाकाल की शरण में हों तो क्या कर लेगी मृत्यु … उन्होंने महाकाल लोक को अलौकिक बताया ….

भोपाल। उज्जैन जो हजारों वर्ष से भारतीय कालगणना का केंद्र बिंदू रहा है, वह भारत की भव्यता के उद्घोष कर रहा है। यहां महाकाल मंदिर में पूरे देश-दुनिया से लोग आते हैं। सिंहस्थ में लाखों लोग जुड़ते हैं। अनगिनत विविधताएं भी, एक मंत्र, संकल्प लेकर जुड़ सकती हैं, इससे अच्छा उदाहरण क्या हो सकता है। हम जानते हैं कि हजारों साल से हमारे कुंभ मेले की परंपरा सामूहिक मंथन के बाद जो निकलता है, उसे संकल्प लेकर क्रियान्वित करने की परंपरा रही है। फिर एक बार अमृत मंथन होता था। फिर 12 साल के लिए चल पड़ते हैं। पिछले सिंहस्थ में महाकाल का बुलावा आया तो यह बेटा आए बिना कैसे रह सकता है…।

यह बात मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व विख्यात उज्जैन के महाकाल मंदिर के परिसर में ‘श्री महाकाल लोक’ का लोकार्पण करने के पश्चात कार्तिक मेला ग्राउंड में एक विशाल जनसभा में कही। उन्होंने कहा कि उस समय कुंभ की हजारों साल की परंपरा, मन-मस्तिष्क में मंथन चल रहा था, मां शिप्रा के तट पर अनेक विचारों से घिर गया था. उसी विचारों से मन कर गया, कुछ शब्द चल पड़े, पता नहीं कहां से आए, और जो भाव पैदा हुआ वह संकल्प बन गया… यह ही आज साकार हो गया है। उस समय के भाव को चरितार्थ करके दिखाया है, सबके मन में शिवत्व और शिव के लिए समर्पण, शिप्रा के लिए… कितनी प्रेरणा यहां विश्व की भलाई के लिए निकल सकती है… काशी जैसे हमारे केंद्र धर्म के साथ-साथ दर्शन और कला की राजधानी भी रहे। उज्जैन जैसे स्थान एस्ट्रोनॉमी से जुड़े शोधों के शीर्ष केंद्र रहे हैं। आज नया भारत प्राचीन मूल्यों के साथ आगे बढ़ रहा है तो आस्था के साथ-साथ विज्ञान की भी नई छवि बना रहा है। आज भारत दुनिया के कई देशों के सैटेलाइट स्थापित कर रहा है। रक्षा के क्षेत्र में पूरी ताकत से आगे बढ़ रहा है।

ज्योतिषीय गणना में उज्जैन न केवल भारत का केंद्र रहा है, बल्कि भारत की आत्मा का भी केंद्र रहा है

नरेंद्र मोदी ने कहा कि हजारों वर्ष पूर्व जब भारत का भौगोलिक स्वरूप आज से अलग रहा होगा, तब से माना जाता रहा है कि उज्जैन भारत के केंद्र में है। एक तरह से ज्योतिषीय गणना में उज्जैन न केवल भारत का केंद्र रहा है, बल्कि भारत की आत्मा का भी केंद्र रहा है। काल चक्र का 84 कल्पों का प्रतिनिधित्व करते 84 शिवलिंग, चार महावीर हैं। नवग्रह हैं। दस विष्णु हैं। 11 रूद्र हैं, 12 आदित्य, 24 देवियां और 88 तीर्थ हैं। इन सबके केंद्र में राजाधिराज कालाधिराज महाकाल विराजमान हैं।

किसी राष्ट्र का सांस्कृतिक वैभव इतना विशाल तभी होता है, जब सफलता का परचम विश्व पटल पर लहराए

एक तरह से हमारे ब्रह्मांड की ऊर्जा को प्रतीक रूप में उज्जैन में स्थापित किया है। उज्जैन ने हजारों वर्षों तक भारत की संपन्नता और समृद्धि का नेतृत्व किया। इस नगरी का वास्तु, वैभव, शिल्प, सौंदर्य कैसा था इसके दर्शन हमें कालिदास के मेघदूत में होते हैं। बाणभट्ट जैसे कवियों ने चित्रण किया। किसी राष्ट्र का सांस्कृतिक वैभव इतना विशाल तभी होता है, जब सफलता का परचम विश्व पटल पर लहरा रहा हो। सफलता के शिखर तक पहुंचने के लिए जरूरी है कि राष्ट्र अपने सांस्कृतिक उत्कर्ष को छुए। अपनी पहचान, गौरव के साथ सिर उठाकर खड़ा हो जाए। इसलिए आजादी के अमृतकाल में गुलामी की मानसिकता से मुक्ति और अपनी विरासत पर गर्व जैसे पंच प्राण का आह्वान किया है।

‘न भूतो न भविष्यति’ के अनूठे उदाहरण हैं हमारे प्राचीन मंदिर

मोदी ने कहा कि हम जब पूर्व से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण तक प्राचीन मंदिरों को देखते हैं, तो उनकी विशालता और वास्तु आश्चर्य से भर देता है। कोणार्क का सूर्य मंदिर हो या महाराष्ट्र में एलोरा का कैलाश मंदिर, ये विस्मित कर देता है। तमिलनाडू में ब्रह्मदेवेश मंदिर है। कांचीपुरम, रामेश्वरम, वेल्लूर का मंदिर, मदुराई का मंदिर, श्रीनगर में शंकराचार्य मंदिर हैं। ऐसे कितने ही बेजोड़ मंदिर हैं। ‘न भूतो न भविष्यति का उदाहरण हैं। इन्हें देखें तो सोचने को मजबूर हो जाते हैं कि उस दौर में किस तकनीक से ये बने होंगे। इनके जवाब भले न मिलते हों, लेकिन इन मंदिरों के आध्यात्मिक व सांस्कृतिक संदेश सुनाई देते हैं।

धर्म-संस्कृति से लेकर चंद्रयान की बात

पीएम मोदी ने कहा कि  महाकाल जब प्रसन्न होते हैं, उनके आशीर्वाद से ऐसे भव्य निर्माण होते हैं। जब महाकाल का आशीर्वाद मिलता है तो काल की रेखाएं मिट जाती हैं। उज्जैन की महत्ता को मोदी ने यह कहकर निरूपित किया कि महाकाल की नगरी प्रलय के प्रहार से भी मुक्त है। ज्योतिषीय गणना में ऊर्जा केंद्र रहा है। आज नया भारत प्राचीन मूल्यों के साथ बढ़ रहा है। मिशन चंद्रयान और गगनयान के जरिए आकाश की नई छलांग लगाने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि भारत अपनी सांस्कृतिक व आध्यात्मिक चेतना के स्थलों का पुनर्निर्माण कर रहा है। आज अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण पूरी गति से हो रहा है। काशी में विश्वनाथ धाम सांस्कृतिक गौरव बढ़ा रहा है। सोमनाथ, केदारनाथ में विकास के नए अध्याय लिखे जा रहे हैं।  सोमनाथ, केदारनाथ, बदरीनाथ धाम में नवनिर्माण, अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण तथा चारधाम निर्माण प्रोजेक्ट में ऑल वेदर रोड बन रही।

हमारे ज्योतिर्लिंगों का विकास भारत की आध्यात्मिक ज्योति, ज्ञान और दर्शन का विकास है

मोदी ने कहा कि हमारे शास्त्रों में उल्लेख है कि शिव ही ज्ञान है। ज्ञान ही शिव हैं। शिव के दर्शन में ही ब्रह्मांड का सर्वोच्च दर्शन है। और दर्शन ही शिव का दर्शन है। इसलिए मानता हूं कि हमारे ज्योतिर्लिंगों का विकास भारत की आध्यात्मिक ज्योति, ज्ञान और दर्शन का विकास है। भगवान महाकाल एकमात्र ज्योतिर्लिंग हैं, जो दक्षिणमुखी हैं। ये शिव के ऐसे स्वरूप हैं, जिनकी भस्म आरती विश्व में प्रसिद्ध है। मैं इस परंपरा में भारत की जीवटता और जीवंतता के दर्शन करता हूं। इसमें भारत के अपराजेय अस्तित्व को देखता हूं। महाकाल के शरण में अंत से अनंत की यात्रा आरंभ होती है। यही हमारी सभ्यता का आत्मविश्वास है, जिसके सामर्थ्य से भारत अमर बना हुआ है। अब तक हमारी आस्था के केंद्र जागृत हैं।

महाकाल की शरण में मृत्यु भी हमारा क्या कर लेगी…

प्रधानमंत्री बोले- अतीत देखा, सत्ताएं बदलीं, भारत का शोषण भी हुआ, आक्रमणकारियों ने उज्जैन की ऊर्जा को भी नष्ट करने के प्रयास किए, लेकिन हमारे ऋषियों ने कहा है कि महाकाल की शरण में मृत्यु भी हमारा क्या कर लेगी। इसलिए भारत अपनी आस्था के प्रामाणिक केंद्रों से बार-बार फिर उठ खड़ा हुआ। मोदी ने कहा कि महाकाल मंदिर में देश-दुनिया से लोग आते हैं। सिंहस्थ में लाखों लोग एक मंत्र, संकल्प लेकर जुटते हैं। कुंभ में आने का सौभाग्य मिला। महाकाल का बुलावा आए और बेटा आए बिना कैसे रह सकता है। उस समय कुंभ की हजारों साल की पुरानी परंपरा मन-मस्तिष्क में मंथन चल रहा था। शिप्रा के तट पर अनेक विचारों से घिरा हुआ था, उसी में से मन कर गया। कुछ शब्द चल पड़े, पता नहीं कहां से कैसे और जो भाव पैदा हुआ वो संकल्प बन गया। आज वो सृष्टि के रूप में नजर आ रहा है। मैं ऐसे साथियों को बधाई देता हूं, जिन्होंने उस समय के भाव को साकार कर दिखाया।

सिंहस्थ में जो भाव आया, वह आज सृष्टि के रूप में नजर आ रहा

महाकाल लोक के लोकार्पण पर मोदी ने कहा, पिछले सिंहस्थ में महाकाल का बुलावा आया तो यह बेटा आए बिना कैसे रह सकता है…। उस समय कुंभ की हजारों साल की पुरानी परंपरा, उस समय जो मन-मस्तिष्क में मंथन चल रहा था। मां शिप्रा के तट पर अनेक विचारों से मैं घिरा हुआ था। उसी में से मन कर गया। कुछ शब्द चल पड़े। पता नहीं कहां से आए, कैसे आए। जो भाव पैदा हुआ था, वह संकल्प बन गया। आज वह सृष्टि के रूप में नजर आ रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन की प्रमुख बातें

  1. –  अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने देशभर से आए साधुसंतों के साथ आम जनता का अभिवादन किया।
  2. –  इस नगर में स्वंयं भगवान श्रीकृष्णे ने आकर शिक्षा ग्रहण की थी।
  3. –  उज्जैरन के पल-ल में इतिहास सिमटा हुआ है। कण-कण में आध्या त्म  समाया हुआ है और कोने-कोने में ईश्वकरीय ऊर्जा संचालित होती है।
  4. –  उज्जैरन में 84 शिवलिंग हैं। नवग्रह हैं। इस तीर्थ क्षेत्र के केंद्र में महाकाल विराजमान हैं।
  5. –  महाकाल की नगरी भारत के केंद्र में है। यहां प्रलय भी कुछ नहीं कर पाता।
  6. –  इस नगरी के वास्तु, शिल्प आदि के दर्शन कालिदास की रचना मेघदूत में होते हैं।
  7. –  आजादी के अमृत काल में भारत ने गुलामी की मानसिकता से मुक्ति और अपनी विरासत पर गर्व जैसे पंचप्राण का आह्वान किया।
  8. –  जब हम उत्तर से दक्षिण तक, पूरब से पश्चिम तक अपने प्राचीन मंदिरों को देखते हैं, तो उनका सांस्कृतिक वैभव, उनकी विशालता व वैज्ञानिकता हमें आश्चर्य से भर देती है।
  9. –  महाकाल लोक अतीत के गौरव के साथ भविष्य के स्वागत के लिए तैयार हो गया है। हम उत्तर से दक्षिण, पूर्व से पश्चिम तक अपने प्राचीन मंदिर को देखते हैं तो उनकी विशालता, उनका वास्तु हमें आश्चर्य से भर देता है।
  10. –  यह भारत का अमृत महोत्सव का हाल है। इस अमृत काल में यह राष्ट्र अपनी सांस्कृतिक चेतना का पुनः आह्वान कर रहा है।
  11. –  महाकाल लोक में महाकाल दर्शन के साथ ही महाकाल की महिमा और महत्व के भी दर्शन होंगे।
  12. –  हमारे ऋषि-मुनियों, विद्वानों ने प्राचीनकाल में बिना तकनीक और आधुनिकता के ही ऐसे विराट निर्माण कैसे किए होंगे, यह देखकर दुनिया चकित होती है।
  13. –  भारत के लिए धर्म का अर्थ है हमारे कर्तव्यों का सामूहिक संकल्प। हमारे संकल्पों का ध्येय है विश्व का कल्याण। मानव मात्र की सेवा।
  14. –  पिछले कुंभ मेले में यहां आने का सुअवसर मिला। बाबा महाकाल का बुलावा आया था। ये बेटा आए बिना कैसे रह सकता था।
  15. –  हमारे संकल्पों का ध्येय है। विश्व का कल्याण, मानवमात्र की सेवा।
  16. सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा- हम सबके सौभाग्य से कल तक आपने देखा कि पानी बरस रहा था। आज तो संपूर्ण मध्यप्रदेश में आनंद बरस रहा है। मोदी पधारे हैं। ऐसे हमारे दुनिया के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता और प्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए दोनों हाथ ऊपर उठाकर स्वागत करें। उन्होंने कहा- मध्यप्रदेश के हर शहर, गांव में नहीं, पूरे देश में मोदी को सुनने और शिव की पूजा करने बैठे करोड़ों-करोड़ भाई-बहनों…अद्भुत आनंद है। महाकाल लोक का समर्पण महाकाल महाराज को ही किया है। अद्भुत महाकाल लोक बना है। भारत प्राचीन और महान राष्ट्र है। पांच हजार साल से अधिक का तो ज्ञात इतिहास है। दुनिया के विकसित देशों में जब कुछ नहीं था, तब हमारे यहां वेद लिखे जा चुके थे। हम विश्व का कल्याण करनेकी सोचतना है। आज मुझे कहते हुए गर्व है कि भारत के उसी संदेश को कभी स्वामी विवेकानंद (नरेंद्र नाथ) ने कहा था कि महानिशा का अंत निकट है। जो अंधे हैं, देख नहीं सकते, जो बहरे हैं, वह सुन नहीं सकते। भारत दुनिया में सबसे आगे जाने को तैयार है। एक नरेंद्र ने यह कहा था और गर्व से कहते हैं कि दूसरे नरेंद्र उसे पूरा कर रहे हैं।

शिवराज सिंह ने कहा कि वैभवशाली, संपन्न राष्ट्र का निर्माण हमारे यशस्वी पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हो रहा है और हम सौभाग्यशाली है कि हम इसे देख रहे हैं। सिंहस्थ में मोदी पधारे थे। उन्होंने कहा था कि उज्जैन में स्नान, पूजन होता है, उससे आगे भी कुछ होना चाहिए। मनुष्य सिर्फ भौतिकता से सुखी नहीं हो सकता। अध्यात्म भी चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से पड़ी थी महाकाल लोक की नींव। उसका स्वरूप क्या हो, 2018 में मध्यप्रदेश की कैबिनेट ने इसे मंजूरी दी। टेंडर हुए। 2019-20 में रुकावट आई थी। 2020 में फिर तेजी आई और आज मोदी ने महाकाल लोक का लोकार्पण किया है। दुनिया जिसे ठुकराती, उसे भी शिव अपनाते। जब मंथन हुआ, तो शिव ने हलाहल को पीकर कंठ में धारण किया। वो भगवान शिव हम पर कृपा की वर्षा करें। पीएम मोदी के नेतृत्व में जो भारत का निर्माण हो रहा है, उसमें हम भी अपना सर्वश्रेष्ठ देने का संकल्प लें। मध्यप्रदेश भारत निर्माण में पूरी ताकत झोंक देगा। मुख्यमंत्री शिवराज ने इस दौरान हर-हर महादेव का जयकारा भी लगवाया।

इस ऐतिहासिक कार्यक्रम को समूचे मध्यप्रदेश ने लाइव देखा। कार्यक्रम के लाइव प्रसारण के लिए गांवों और शहरो में बड़ी टीवी स्क्रीन लगाई गई थी। प्रदेश के 17,722 मंदिरों में पूजा-अर्चना, दीप प्रज्ज्वलन, भजन-कीर्तन का आयोजन हुआ। 899 मंदिरों में वृहद कार्यक्रम मंदिर समितियों, स्थानीय प्रशासन और श्रद्धालुओं के सहयोग से आयोजित किए गए। राजधानी भोपाल में कर्फ्यू वाली माता, बड़ वाले महादेव समेत शहर के मंदिरों में बड़े आयोजन हुए। शहर के प्रसिद्ध कर्फ्यू वाली माता मंदिर के सामने बड़ी रंगोली बनाई गई। इसमें महाकाल लोक उज्जैन को दिखाया गया था। बाबा महाकाल की नगरी अवंतिका सहित समूचे मध्यप्रदेश में मंगलवार को आनंद की बारिश हुई। बम-बम भोले… हर-हर महादेव… जय महाकाल के जयकारों के बीच उज्जयनी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकाल लोक का लोकार्पण किया। । भक्त उत्साह से लबरेज नजर आए। इतनी भीड़ के बावजूद कार्यक्रम निर्विघ्न रूप से संपन्न हुआ। अब अलौकिक महाकाल लोक आम लोगों के लिए खोल दिया गया है। आम सभा में प्रदेशभर से लाखों लोग पहुंचे और मोदी को सुना। जो नहीं पहुंचे उन्होंने अपने-अपने शहरों, गांवों के प्रमुख स्थलों और मंदिरों में लगाई गई बड़ी स्क्रीन पर यह अद्भुद आयोजन देखा और स्वर्गिग आनंद की अनुभूति महसूस की।

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