मध्य प्रदेश

महाकाल की नगरी में ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनने जुटा अपार जनसैलाब, शिव की आस्था में बंधकर खिंचे चले आए डेढ़ लाख श्रद्धालु ….

उज्जैन। अवंतिका नगरी की हर राह मंगलवार को काLतक मेला मैदान की ओर जाती नजर आई। भगवान महाकाल को शीष नवाते लाखों लोगों का जनसमूह यहां महाकाल लोक के लोकार्पण के ऐतिहासिक और गौरवशाली क्षण का साक्षी बनने इकट्ठा हुआ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ओजस्वी भाषण ने धर्मप्रेमी जनता में ऊर्जा का संचार तो किया ही, आजादी के अमृतकाल में विश्व गुरु बनने की राह पर मजबूत होते भारत का भरोसा भी दिलाया।

आस्था को किसी आग्रह की आवश्यकता नहीं होती। यही कारण है कि जब अवंतिका नगरी में कुंभ का मेला लगता है, तो पंचाग में सिर्फ तिथि प्रकाशित होती है और देश-दुनिया से गृहस्थ से लेकर विरक्त संत तक खिंचे चले आते हैं। महाकाल की इसी उज्जयिनी में मंगलवार को महादेव की गाथा कहते महाकाल लोक का लोकार्पण समारोह भी ऐसी ही आस्था का केंद्र बना।

यहां देश के प्रधान सेवक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सुनने के लिए करीब डेढ़ लाख लोग यहां के कार्तिक मेला मैदान में इकट्ठा हुए। मौसम विभाग ने वर्षा की आशंका जताई थी, उमस के बीच बादल भी छाए, लेकिन जहां महाकाल का स्तुतिगान हो रहा हो, वहां उनके भक्तों को परेशानी कैसे होती। घने और काले बादल छाने के बावजूद वर्षा नहीं हुई और मौसम भी हल्की ठंडक के साथ खुशनुमा बना रहा। लाखों श्रोता अपनी जगह पर अडिग रहे।

नरेन्द्र मोदी ने रिमोट का बटन दबाकर महाकाल लोक का लोकार्पण किया। मोदी मंगलवार शाम 7 बजे ‘श्री महाकाल लोक’ पहुंचे। कार से उतर वे सीधे नंदी द्वार पहुंचे। उन्होंने यहां मौजूद अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी सहित 150 संतों का अभिनंदन किया। 111 बटुकों ने स्वस्ति वाचन कर और केरल, ओडिसा, बनारस, असम, मणिपुर, हरदा, डिंडोरी के कलाकारों ने पंच वाद्य, शंख, डमरू, मंजीरे, काठी, मांदल बजाकर प्रधानमंत्री का स्वागत किया। स्वागत उपरांत प्रधानमंत्री ने नंदी द्वार के नीचे स्थापित रक्षा सूत्र से बनीं शिवलिंग की 16 फीट ऊंची प्रतिकृति का अनावरण रिमोट का बटन दबाकर किया। इसी के साथ ‘श्री महाकाल लोक’ का लोकार्पण हुआ। तत्पश्चात वे महाकाल पथ पर पैदल चले।

उन्होंने 25 फीट ऊंची और 500 फीट लंबी दीवार पर उकेरे शैल चित्रों को निहारा। फिर कमल सरोवर होकर सप्त ऋषि मंडल पहुंचे। उन्होंने सप्त ऋषियों की विग्रह मूर्तियों, 25 फीट ऊंचे शिव स्तम्भ को देखा। यहां भोपाल के कलाकारों ने भरतनाट्यम, मोहिनीअट्टम, बंगाल और झारखंड के कलाकारों ने पुरलिया छाऊ, केरल के कलाकारों ने तैय्यम, कथकली नृत्य कर, कर्नाटक के कलाकारों ने यक्षगान कर प्रधानमंत्री का स्वागत किया।

प्रधानमंत्री के महाकाल लोक अवलोकन के दौरान देश के कई स्थानों से आए 700 कलाकारों ने अपनी आकर्षक और मनमोहक प्रस्तुतियां दीं। मध्यप्रदेश की मालवा संस्कृति का नृत्य, गुजरात का गरबा, आंध्र प्रदेश के कलाकारों ने कूचिपूड़ी नृत्य की प्रस्तुति दी। झारखंड के ट्राइबल एरिया से आए 12 कलाकार ने अपनी सांस्कृतिक परंपरा अनुसार भस्मासुर की प्रस्तुति को काफी सराहा गया। रुद्रसागर के समानांतर पथ पर हरियाणा के कलाकारों ने डेरू जंगम, उत्तर प्रदेश के कलाकारों ने शिव तांडव, शिव बारात की नृत्य नाट्य का मंचन किया।

तेलंगाना के कलाकारों ने पेरिनी शिव तांडव, झारखंड के कलाकारों ने खरसवा छाऊ, आंध्रप्रदेश के कलाकारों ने ओडूगुलू, गुजरात के कलाकारों ने मेवासी, कर्नाटक के कलाकारों ने ढोलकुनीथा, मध्यप्रदेश के कलाकारों ने गणगौर, मटकी, असम के कलाकारों ने सत्रिया, भोपाल के कलाकारों ने कथक, कुचिपुड़ी, ओडीसा के कलाकारों ने गोटीपुआ, मणिपुर के कलाकारों ने मणिपुर रास, गोआ के कलाकारों ने समई नृत्य की प्रस्तुति दी।

मानसरोवर (फेसिलिटी सेंटर) भवन के सामने उज्जैन के खिलाड़ियों ने मलखंभ का प्रदर्शन किया। यहां मंगलवाद्य यंत्र बजाए गएं। प्रधानमंत्री ने सभी कलाकारों की प्रस्तुति को सराहा। उन्होंने इलेक्ट्रिक कार (ई कार्ट) में बैठ परिसर में स्थापित भगवान शिव सहित विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियों और दीवारों पर बनाए शैल चित्रों का अवलोकन किया। तीनों शंख द्धार पहुंचे और अपनी कार में बैठ कार्तिक मेला मैदान पर रखी सभा स्थल की ओर रवाना हुए।

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