मध्य प्रदेश

एमपी में अब ट्रांसजेंडर्स को मिलेगा ओबीसी का दर्जा, मिलेगा आरक्षण का लाभ, राज्य मिलेट मिशन को भी मंजूरी

मिलेट पर दो साल में खर्च होंगे सवा 23 करोड़ रुपये, शिवराज कैबिनेट ने लगाई कई निर्णयों पर मुहर, पीएम मोदी के आहवान के बाद कैबिनेट बैठक में मिलेट्स पर रहा फोकस

भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आहवान के बाद मप्र सरकार ने मिलेट पर विशेष रूप से फोकस किया है। मंगलवार को मंत्रालय में हुई कैबिनेट बैठक में राज्य मिलेट मिशन को मंजूरी दी गई, इसके लिए 23 करोड़ रुपये का बजट भी दो साल में खर्च करने के लिए मंजूर किया गया। पीएम नरेंद्र मोदी के आहवान पर साल 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटे अनाज वर्ष के रूप में मान्यता दी गई है। पीएम ने देश के सभी राज्यों एवं केंद्र व राज्य सरकारों के विभागों से मोटे अनाज उत्पादन को प्रोत्साहन करने के लिए कहा था, जिसके बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी खासतौर पर मप्र सरकार को इस दिशा में काम करने के लिए कहा था। इसके उपरांत मप्र सरकार ने आज मंत्रालय भोपाल में हुई कैबिनेट बैठक में मिलेट्स को प्रोत्साहित करने को लेकर अनेक निर्णय किए हैं। कैबिनेट ने ट्रांसजेंडर्स को ओबीसी का दर्जा देने का भी बड़ा फैसला किया है। इसके तहत अब ट्रांसजेंडर्स को भ्री आरक्षण का लाभ मिलेगा।
बैठक के बाद चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने बताया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में राज्य मिलेट मिशन को मंजूरी दी है। इसके लिए 23 करोड़ रुपये की राशि भी स्वीकृत की है। सरकार मोटे अनाज के प्रचार-प्रसार, इसके उत्पादन और इसके उपयोग, इन तीनों आयामों पर काम करेगी। मिलेट में ज्‍वार, बाजरा, रागी, झंगोरा, बैरी, कंगनी, कुटकी, कोदो, चेना, सामा या सांवा और जौ आदि आते हैं। इस मिशन की अवधि 2025 तक 2 साल के लिए तय की गई है। इसमें किसानों को सहकारी संस्थानों द्वारा मोटे अनाज के बीज 80% सब्सिडी पर उपलब्ध कराए जाएंगे। मोटे अनाज के वैल्यू एडिशन के लिए सरकार अलग से जन जागरण अभियान चलाएगी । साथ ही यह सुनिश्चित करेगी कि जो किसान मोटे अनाज का उत्पादन करते हैं, उन्हें बड़े स्तर पर उसका आर्थिक लाभ मिल सके। इसके लिए मिलेट्स के विपणन की व्यवस्था भी बनाई जाएगी।

किसानों को दिया जाएगा प्रशिक्षण, राज्य स्तर पर लगेंगे मेले

मिलेट मिशन योजना में मोटे अनाज की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के साथ प्रशिक्षण भी दिलाया जाएगा। विपणन की व्यवस्था बनाने के साथ जिला एवं राज्य स्तर पर मेले, कार्यशाला, फूड फेस्टिवल, रोड-शो भी आयोजित किए जाएंगे।

सरकारी कार्यक्रमों में बनेगी मिलेट्स की डिश

श्री सारंग ने बताया कि कैबिनेट ने यह निर्णय भी लिया है कि सरकारी कार्यक्रमों में खाने में कम से कम एक डिश मिलेट्स से बनी हुई होगी। हफ्ते में एक दिन सरकारी होस्टलों और मिड-डे मील में बच्चों को भोजन में मोटे अनाज का व्यंजन दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में मोटे अनाज को लेकर जागरूकता के लिए अगले 2 साल तक बड़े स्तर पर काम किया जाएगा।

गेहूं एक्सपोर्ट करने वाले किसानों को बड़ी राहत

कैबिनेट ने एक अन्य निर्णय में किसी भी मंडी क्षेत्र में निर्यात के उद्देश्य से खरीदे गए गेहूं के मंडी शुल्क की प्रतिपूर्ति करने के नियम में संशोधन को भी मंजूरी दी है। इसके अनुसार प्रदेश के किसी भी कृषि उपज मंडी क्षेत्र में निर्यात के उद्देश्य से खरीदे गए गेहूं पर मंडी शुल्क की प्रतिपूर्ति की जाएगी। इसके लिए व्यापारी को आवेदन करना होगा और इसमें लगने वाली राशि का वहन कृषि उपज निर्यात प्रोत्साहन मद से किया जाएगा। देश के अन्य राज्यों से व्यापारियों द्वारा वाणिज्यिक प्रयोजन के लिए खरीदे गए गेहूं पर मंडी फीस की प्रतिपूर्ति नहीं की जाएगी।

मूंग में आर्थिक नुकसान पर सरकार मार्कफेड को देगी मदद

मूंग की फसल को लेकर भी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। इसके तहत मूंग में आर्थिक नुकसान पर सरकार मार्कफेड को मदद देगी। दरअसल, देश में ग्रीष्मकालीन मूंग का 40% उत्पादन मध्यप्रदेश में होता है। बीते साल मध्यप्रदेश में ग्रीष्मकालीन मूंग का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ था। इसका उपार्जन मार्कफेड द्वारा किया गया था, लेकिन मार्कफेड से सिर्फ 25% मूंग केंद्र सरकार द्वारा ली गई थी। बाकी 75% मूंग का विक्रय मार्कफेड द्वारा किया गया था, इससे किसानों को उचित दाम मिल सकेगा। सरकार ने यह निश्चित किया है कि मूंग को लेकर मार्कफेड को जो आर्थिक हानि हुई है, उसकी भरपाई सरकार द्वारा की जाएगी।

बीपीसीएल लगाएगा प्लांट, सरकार देगी 15 हजार करोड़ टैक्स की छूट

बैठक में भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) को मध्यप्रदेश में अभी तक के सबसे बड़े इन्वेस्टमेंट के लिए बड़ी रियायत देने का निर्णय भी लिया गया। भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) द्वारा बीना रिफाइनरी कैम्पस में लगभग 50 हजार करोड़ रुपए की लागत से एक प्लांट लगाया जा रहा है। इस प्लांट में गैसोलीन, डीजल, एलएलडीपी और पॉलीप्रोपलीन का प्रोडक्शन होगा। बैठक में कंपनी को स्टेट गुड्स एंड सर्विस टैक्स में 15 हजार करोड़ की छूट देने का प्रस्ताव मंजूर कर लिया गया। सरकार इस प्लांट के लिए कंपनी को 500 करोड़ रुपए का इंटरेस्ट फ्री लोन भी उपलब्ध कराएगी। कंपनी ने बिजली में एक रु. प्रति यूनिट की रियायत मांगी है। इसे भी निवेश संवर्धन समिति ने मंजूर कर लिया है। उन्होंने बताया कि इस प्लांट के लगने से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से दो लाख लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है।

ट्रांसजेंडरों को पिछड़ा वर्ग की सूची में शामिल करने की स्वीकृति

बैठक में ट्रांसजेंडरों को मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की सूची में शामिल करने की स्वीकृति दी गई। बताया गया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए यह कदम उठाया गया है। इससे मध्यप्रदेश में अब ट्रांसजेंडर भी पिछड़ा वर्ग आरक्षण के पात्र होंगे। ट्रांसजेंडर को पिछड़ा वर्ग की सूची में क्रमांक 94 पर शामिल किया जाएगा।

यह निर्णय भी हुए

– उज्जैन में डुंगरिया सूक्ष्म सिंचाई परियोजना को प्रशासकीय स्वीकृति दी गई। इससे महिदपुर विकासखंड के आठ गांवों में सिंचाई की सुविधा मिलेगी।

– ग्वालियर जिले की टिकटोली डिस्ट्रीब्यूटरी (हरसी उच्च स्तरीय मुख्य नहर से पोषित) परियोजना की पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति दी गई। इससे 27 गांवों के किसानों को सिंचाई की सुविधा मिलेगी।

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