लेखक की कलम से
पुराने लिबास …
वो रात भर
अपनी नयी प्रेमिका को
अपनी पुरानी प्रेम कविताएँ
सुनाता रहा!
जैसे
किसी के पुराने लिबास
किसी और बच्चे को
उठा के दे देते हैं !
* * *
उसने
किसी बच्चे को
फटे-पुराने कपड़े दे तो दिया
तुरंत बाद अपने कैमरे में
कैद भी कर लिया
उन आंखों की झिलमिलाहट को
जो उसके मुड़ जाते ही
बूंदों में टपक पड़ी!
* * *
नये कपड़ों के
रंगीन सपने देखने वाले लडके पर
किसी के दिये पुराने लिबास
कभी ढीले पड़ते रहे, कभी तंग!
इसे देखते-देखते
कोई हंसता रहा उस पर
और वो ख़ुद पर!
* * *
देश का राजा तो
लिबास बदलते-बदलते
नंगा ही हो चुका!
उसको अब कैसे समझाएं?
देश की धरती
पसीने की खुशबू से महकती है
इत्र से नहीं!
©मीरा मेघमाला, कर्नाटक