लेखक की कलम से

प्रेम का रस बरसाना …

खाली हाथ ही आयें जग में

खाली हांथ ही जाना

 

मतलब की इस दुनियां में

हर इंशा हैं बेगाना

 

जिसने निज अन्तर्मन से इस

मर्म को है पहचाना

 

वही हमारा अपना है उसी को

हमने जाना

 

प्रेम प्रीत सनेह नेह ही अब हैं

जग में लुटाना

 

प्रेम की रस्सी में बांधकर अब

सबको अपना बनाना

 

नफरत की इस दुनियां में बस

प्रेम का रस बरसाना

 

तभी सफल होगा इंशा तेरा

धरती पर आना

 

©क्षमा द्विवेदी, प्रयागराज                

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