मध्य प्रदेश

‘द भोपाल विजन स्टेटमेंट’ से विश्व धरोहर संरक्षण को मिलेगा नया आयाम

यूनेस्को सब-रीजनल कॉन्फ्रेंस का समापन, कॉन्फ्रेंस से भोपाल को मिली विश्वस्तर पर पहचान

भोपाल। यूनेस्को सब रीजनल कॉन्फ्रेंस के नवाचारों और बेस्ट प्रेक्टिसेज दक्षिण एशियाई क्षेत्र सहित पूरे विश्व में विरासतों के संरक्षण का माध्यम बनेगा। सब रीजनल कॉन्फ्रेंस से भोपाल को विश्वस्तर पर पहचान मिली है। कॉन्फ्रेंस के वैचारिक मंथन से तैयार हुए दस्तावेज ‘द भोपाल विजन स्टेटमेंट’कहलाएगा। यह विश्व धरोहर संरक्षण को नया आयाम देगा। स्टेटमेंट में स्थानीय समुदाय और सिविल सोसायटी की विश्व विरासत संरक्षण में भूमिका और उनकी सक्रिय भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया गया है। सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर के संरक्षण एवं विकास के लिए आपसी समन्वय और सहयोग बढ़ाने के प्रण के साथ दो दिवसीय सब रीजनल कॉन्फ्रेंस का समापन हो गया।

इसके साथ ही विरासतों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव, पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक प्रथाओं में शामिल करना आदि महत्वपूर्ण विषयों पर दक्षिण एशियाई देशों के प्रतिनिधियों के महत्वपूर्ण विचार एवं सुझाव शामिल किए गए हैं। इसमें प्रमुख रूप से लोगों एवं धरोहरों के बीच मजबूत संबंधों के माध्यम से ही सतत एवं स्थायी विकास को संभव बताया गया है। प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति एवं प्रबंध संचालक मप्र टूरिज्म बोर्ड शिव शेखर शुक्ला ने कॉन्फ्रेंस में सम्मिलित होने भोपाल आए प्रतिनिधियों का आभार व्यक्त कर प्रदेश के विभिन्न पर्यटन गंतव्यों में भ्रमण के लिए आमंत्रित किया।

हेरिटेज वॉक से शहर की ऐतिहासिक विरासत को जाना

सांस्कृतिक विरासत हमारे अतीत, हमारे इतिहास और पूर्वजों को समझने में मदद करती है। यह हमें एक साथ बांधे रखती है। साथ ही हमारे वर्तमान और हमारे भविष्य का एक अभिन्न अंग है। भोपाल शहर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से अवगत कराने के लिए यूनेस्को सब-रीजनल कॉन्फ्रेंस में आए प्रतिनिधियों के लिए मंगलवार को सुबह हेरिटेज वॉक आयोजित की गई। विश्व धरोहर दिवस के उपलक्ष्य में प्रतिनिधियों को शहर के इतिहास, संस्कृति, धरोहरों एवं प्राकृतिक सौंदर्य से अवगत कराया गया। वॉक का रूट कमला पार्क से प्रारंभ होकर, राजाभोज सेतु, गौहर महल, इंडियन टी हाउस से होते हुए इक़बाल मैदान, सदर मंजिल पर समापन हुआ। प्रतिनिधियों को शहर का इतिहास, भाषा, रीति-रिवाज, वास्तुकला, कला और संस्कृतियों की विविधताओं की जानकारी दी गई।

प्रदर्शनी में दिखी प्रदेश की संस्कृति की झलक

मप्र टूरिज्म बोर्ड द्वारा यूनेस्को के प्रतिनिधियों को प्रदेश की संस्कृति को झलक दिखाने के लिए कन्वेंशन सेंटर परिसर में प्रदर्शनी लगाई गई है। मप्र रिस्पॉन्सिबल टूरिज्म मिशन के तहत संचालित की जा रही परियोजनाओं जैसे महिला हेतु सुरक्षित पर्यटन परियोजना, होम स्टे योजना, रिस्पॉन्सिबल सोवेनियर परियोजना, कौशल विकास इत्यादि की जानकारी दी गई। इसके साथ ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, पुरातत्व, अभिलेखागार और संग्रहालय निदेशालय, मध्यप्रदेश, स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर भोपाल, मृगनयनी एम्पोरियम की प्रदर्शनी के साथ ,गोंड एवं भील पेंटिंग, मध्यप्रदेश माटी कला बोर्ड और माहेश्वरी हैंडलुम की लाइव प्रदर्शनी लगाई गई। आंगतुकों ने उत्साहित होकर हथकरघा पर हाथ आजमाया और मिट्टी के बर्तन बनाना भी सीखें।

थीमेटिक सेशन में विरासत और संस्कृति संरक्षण पर हुआ विचार मंथन

सम्मेलन के दौरान थीमेटिक सेशन में देशों और संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने विरासतों पर क्लाइमेट चेंज के प्रभाव, नई तकनीक से विकास और सांस्कृतिक संरक्षण के विषय पर विचार मंथन किया। विश्व विरासत और सांस्कृतिक परिदृश्य थीम पर हुए सेशन में मेघालय से संजीव शंकर और दिसंबर खोंगसदम ने लिविंग रूट ब्रिज कल्चरल लैंडस्केप कम्युनिटी एंड साइंस बेस्ड अप्रोच फॉर नर्चरिंग सस्टेनेबिलिटी पर, मध्यप्रदेश पर्यटन से ओपी मिश्रा और डॉ. विशाखा कावथेकर ने द रेलिक लैंडस्केप्स इन इंडिया एस वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स द जर्नी फ्रॉम सस्टेनेबिलिटी टू रिस्पांसिबिलिटी पर और जाह्नवीज शर्मा ने प्रोजेक्ट मौसम मैरिटाइम कल्चरल लैंडस्केप पर प्रस्तुतीकरण दिया। प्रेजेंटेशन के विषयों पर श्रीलंका के सेंट्रल कल्चरल फंड के महानिदेशक प्रो. गामिनी रणसिंघे और भूटान के संस्कृति और ज़ोंगखा विकास विभाग के कार्यकारी वास्तुकार कर्मा तेनजऩि ने विचार मंथन किया।

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