मध्य प्रदेश

कूनो पालपुर अभयारण्य ने दीपावली पर उगला बेशकीमती खजाना, जिस गढ़ी में मिला है खजाना उसका केस कोर्ट में लंबित है …

भोपाल। सुर्खियों में रहे श्योपुर के राष्ट्रीय कूनो पालपुर अभयारण्य ने दीपावली के मौके पर ख़ज़ाना उगला है। अभयारण्य के अंदर जेसीबी से खुदाई के दौरान निकले इस खजाने में चांदी और दूसरी बेशकीमती धातु से बने हुए सिक्के व आभूषण मिले हैं। ए सामान प्रशासन को सौंप दिया गया है। वहीं, श्योपुर राजघराने के सदस्यों ने दावा किया है ए खजाना उनके परिवार का है। प्रशासन उनसे जानकारी छुपा रहा है।

कूनो पालपुर अभयारण्य के अंदर स्थित पालपुर घराने की पुरानी गढ़ी के पास जेसीबी मशीन से खुदाई के दौरान खजाना निकला है। बाताया जाता है इस खजाने में चांदी और दूसरी बेशकीमती धातु से बने हुए सिक्के और आभूषण निकले हैं। कूनों के अधिकारियों ने 24 घंटे बाद 42 चांदी के सिक्के, कुछ चांदी के गहने और तांबा जैसी धातु के कुछ के कुछ सिक्के पुलिस को सौंपे हैं।

अभयारण्य में खज़ाना निकलने की खबर जंगल में आग की तरह फैली। जानकारी मिलने पर पालपुर घराने के वारिस गोपाल सिंह भी मौके पर पहुंचे, लेकिन उन्हें बहुत देर से मौका स्थल पर जाने की इजाजत दी गयी। उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी पुरानी गढ़ी और संपति का मामला न्यायालय में विचाराधीन है, फिर वन विभाग बिना अनुमति वहां खुदाई कैसे कर सकता है। साथ ही जब खुदाई में खजाना निकला तो तत्काल प्रशासन, पुलिस और उन्हें मौके पर बुलाया जाना चाहिए था, ताकि पता लग पाता कि खजाने में क्या-क्या और कितनी मात्रा में निकला है।

गोपाल सिंह का आरोप है खुदाई के दूसरे दिन जानकारी लगने पर जब वह कूनों में आ रहे थे, तब उन्हें गेट पर 5 घंटे तक रोककर रखा गया। जिस स्टाफ ने खुदाई की थी, उसे बदल दिया गया और उसकी जगह दूसरे मजदूर रख दिए गए। जेसीबी मशीन भी बदल दी गई। मौके पर जहां खजाना निकला है, उस जगह को मिट्टी डालकर ऐसा करने की कोशिश की गई है कि जैसे वहां कोई खुदाई हुई ही नहीं है।

वहीं इस बारे में कूनो डीएफओ प्रकाश वर्मा से कई बार बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका। अब सवाल खड़े हो रहे हैं कि खजाना पिछले गुरुवार को 11 बजे जेसीबी से खुदाई के दौरान निकला था तो इसकी सूचना पुलिस प्रशासन और पालपुर रियासत को तत्काल क्यों नहीं दी गई। बहरहाल इस मामले में सभी जिम्मेदार चुप्पी साधे हुए हैं और कोई भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है। इससे लगता है कि ‘दाल में कुछ काला’ जरूर है।

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