व्हाट्सएप छोड़िए, पुस्तकें पढ़िए
राष्ट्रीय पुस्तक मेला प्रारंभ, 13 तक चलेगा
बिलासपुर। लाल बहादुर शास्त्री हायर सेकेंडरी स्कूल मैदान में बिलासपुर पुस्तक मेले के शुभारंभ अवसर पर कुलपति, पं.सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्विद्यालय के प्रोफ़ेसर वंश गोपाल सिंह ने कहा कि ऐसे आयोजन से पुस्तकधर्मिता के प्रति एक अलख जगती है। रचनाकार जुड़ते हैं। निश्चित तौर से युवा पीढ़ी में उत्सुकता जगती है। पुस्तकें बेहतर इनसान बनाने के लिए आमंत्रित करतीं हैं।
इस अवसर पर प्रो गौरी दत्त शर्मा, अटल बिहारी वाजपेयी विश्विद्यालय के कुलपति ने कहा- यह पुस्तक मेला निश्चित ही पाठकों में एक संस्कार विकसित करेगा। ये समाजिक अनिवार्यता भी है जो एक माहौल पैदा करने में सक्षम है। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के बावजूद पुस्तकों की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं आई। आज इंटरनेट के मामले में भी पुस्तकें बेहतर विकल्प हैं। आपकी रुचि के अनुसार पुस्तकें इस मेले में मौजूद हैं। उनको पढ़िए वे आपको लक्ष्य के करीब ले जाएंगी।
इस मौके पर राजभाषा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. विनय कुमार पाठक ने कहा कि पठनीयता कम हो गई है, मैं उसे सही नहीं मानता। आज भी पुस्तक पढ़ी जा रही है, उसके परिणाम हमारे सामने हैं। पुस्तकें ही मनुष्य को संस्कारित करतीं हैं।
इस अवसर पर बिलासपुर के जिलाधीश डॉ. संजय अलंग ने कहा कि राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत इनदिनों बेहद सक्रिय है प्रकाशन के संदर्भ में। मैं न्यास के अध्यक्ष व निदेशक को भी साधुवाद देता हूँ कि जिन्होंने बिलासपुर को पुस्तक मेले के आयोजन के लिए हमारे शहर को चुना। अब समय है व्हाट्सएप छोड़ने का, मित्रों पुस्तकों से जुड़िए। न्यास प्रकाशन के क्षेत्र में बहुत बड़ा दखल रखता है। पुस्तकें अनंत है जिनमें जितना डूबेंगे उतना ही आप आगे बढ़ेंगे। पुस्तकें ही आपको भी, बच्चों को भी सुसंस्कृत करेंगी।
राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के सहायक निदेशक सुभाशीस दत्ता ने कहा कि बिलासपुर में यह दूसरी बार पुस्तक मेला आयोजित हो रहा है। मेले में हजारों की संख्या में पुस्तकें प्रदशित की गईं हैं। कई प्रदेशों के प्रकाशक भागीदारी कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि न्यास पाठकों की अपेक्षा पर खरा उतरने का प्रयास करेगा।
मंच का संचालन हिंदी संपादक व छत्तीसगढ़ के नोडल अधिकारी डॉ. ललित किशोर मंडोरा ने किया। कार्यक्रम से पूर्व उन्होंने नेशनल बुक ट्रस्ट व पुस्तक मेला से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी दी।
बिलासा कला मंच के संस्थापक डॉ. सोमनाथ यादव तथा पदाधिकारियों ने मंच की ओर से मंचस्थ सभी अतिथियों को शाल व स्मृति चिन्ह भेंट किया। इस कार्यक्रम में प्रमख रूप से अटल श्रीवास्तव, द्वारिका प्रसाद अग्रवाल, रामकुमार तिवारी, डॉ. सुधाकर बिबे, राजेन्द्र मोर्य, महेश श्रीवास, अर्पण कुमार, रामेश्वर गुप्ता, श्रीकुमार पांडेय, नितेश पाटकर, सनत तिवारी, केके पाठक, अजय शर्मा, बल्लू दुबे के साथ अन्य महत्वपूर्ण व्यक्ति प्रमुख थे।