बिलासपुर

सांसद अरूण साव ने कटघोरा-मुंगेली-डोंगरगढ़ रेलवे लाइन का मुद्दा उठाया

बिलासपुर। क्षेत्रीय सांसद अरुण साव ने आज लोकसभा में शून्यकाल के दौरान कटघोरा-मुंगेली-डोंगरगढ़ नई रेलवे लाइन का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि पिछले एक साल से ठप्प पड़ी इस परियोजना को गति दे शीघ्र पूर्ण किया जाए।

संसद के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन शून्यकाल के दौरान सांसद श्री साव ने कहा कि बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र में शामिल मुंगेली जिला मुख्यतः कृषि पर निर्भर क्षेत्र है। यह क्षेत्र अमरूद (बीही) के लिए भी प्रसिद्ध है। ब्रिटिश काल में इस नवोदित जिले को रेलवे लाइन से जोड़ने की कवायद शुरू हुई थी, लेकिन यह कार्य पूर्ण नहीं हो सका। वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं तात्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के प्रयासों से कटघोरा-मुंगेली-डोंगरगढ़ के बीच 295 कि.मी. की नई रूट का सर्वे करा इस परियोजना को मूर्त रूप देने रेल मंत्रालय एवं छत्तीसगढ़ सरकार के बीच एमओयू करा छत्तीसगढ़ रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड (सीआरसीएल) का गठन किया  गया था। छत्तीसगढ़ की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के कार्यकाल में यह परियोजना द्रूत गति से आगे बढ़ रही थी। 295 किमी लंबे ट्रैक के लिए 1794 हेक्टेयर जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया भी शुरू हो गई थी। इस परियोजना के लिए  राज्य शासन और रेलवे के अलावा 3 अन्य प्राइवेट पार्टनर के बीच समझौता भी हो गया है। जमीन अधिग्रहण के लिए ग्रामीणों को सीआरसीएल द्वारा  नोटिफीकेशन भी जारी किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट के लिए पिछले 10 साल में 8 से 10 बार सर्वे हो चुका है, लेकिन यह परियोजना पूरी नहीं हो सकी।

छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार रहते 5 अक्टूबर 2018 को इस परियोजना का रेल मंत्री पीयूष गोयल के हाथों शिलान्यास कराया गया, तो क्षेत्रवासियों में उम्मीद जगी कि यह परियोजना अब जल्द पूर्ण हो जाएगी, किन्तु प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद पिछले एक साल से इस नई रेलवे लाइन का काम ठप्प पड़ा है। श्री साव ने कहा कि क्षेत्र की इस बहुप्रतीक्षित माँग को जल्द पूर्ण कराने सरकार की ओर से उचित पहल की जाए।

5950 करोड़ की परियोजना

कटघोरा-मुंगेली-डोंगरगढ नई रेलवे लाइन परियोजना की लागत 5,950 करोड़ रुपए है। सीआरसीएल 48, महाराष्ट्र स्टेट पाॅवर जेनरेशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (महाजेको) और एसीबीआईएल 26-26 फीसदी लागत शेयर करेंगे। काम की देखरेख रेलवे करेगा। ट्रैक के रास्ते में 200 से अधिक गांव पड़ेंगे और पटरी के किनारे आने से यहां के करीब 35 लाख लोगों को फायदा होगा। मुआवजा वितरण के लिए एक कमेटी का गठन किया गया था।

ये स्टेशन होंगे रूट पर

डोंगरगढ़ के बाद बेलगांव, घोघेडबरी, प्रकाशपुर, खैरागढ़, छुइखदान, मुरइ, गंडइ, जंगलपुर, धनगांव, धनेली, कवर्धा, बोरदुली, सोमनापुर, कंवलपुर, मुंगेली, कोसमा, तखतपुर, खम्हरिया, गनियारी, लामेर, रतनपुर, नेवसा, बेलतरा, करतला, जमानीमुड़ा और कटघोरा में रेलवे स्टेशन बनना फाइनल हो गया है। इन शहरों-कस्बों में पहली रेलवे लाइन पहुँचेगी।

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