भक्त ….
भक्त बन जाओ रे प्यारे,
भक्त बन जाओ रे,
भगवान आएंगे तेरे द्वारे,
भक्त बन जाओ रे,
देख जरा शबरी की कहानी,
श्री राम की हुई वो दीवानी,
झूठे बेर श्रीराम ने खिलाये,
प्रेम भक्ति श्रीराम को भाए।
भक्त…..
देखो कान्हा विदुर घर आये,
शाक प्रेम से विदुर ने खिलाये,
भगवान देखो प्रेम के भूखे,
सादे भोजन बनते अनोखे।
भक्त…..
एक मीरा थी प्रेम दीवानी,
प्रेम की अजब कहानी,
कान्हा संग संग उसके आते,
मीरा को खुद में समाते।
भक्त….
अनगिनत भक्तों की अलग कहानी,
सुनो जरा भक्तों की जुबानी,
अंतस जितना निर्मल होता,
भक्त वो ही पावन होता।
भक्त…….
अंतस जब जब भक्त देखता,
हर प्राणी में ईश्वर मिलता,
चलो करे कण कण में प्रियतम के दर्शन,
खुद कर जरा आज समर्पण।
भक्त..
कब जब कण कण में प्रियतम होगा,
दुःखो का क्यो बसेरा होगा,
मिट जाए तब कष्ट भी सारे,
जो तू भक्त बना रे प्यारे।।
©अरुणिमा बहादुर खरे, प्रयागराज, यूपी