मध्य प्रदेश

वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री अभय छजलानी का निधन: लंबे समय से बीमार थे, अंतिम संस्कार आज शाम 5 बजे होगा

इंदौर। वरिष्ठ पत्रकार, दैनिक नई दुनिया के पूर्व संपादक, पद्मश्री अभय छजलानी अब हमारे बीच नहीं रहे। गुरुवार, 23 मार्च 2023  को अल सुबह उनका निधन हो गया। 89 वर्षीय अभय जी लंबे समय से बीमार थे। वे मध्य प्रदेश टेबल टेनिस संगठन के अध्यक्ष रह चुके हैं। वे  इंडियन न्यूज पेपर सोसायटी (इलना) के पूर्व अध्यक्ष थे, इसके लिए उन्हें 2002 में चुना गया था। भारत सरकार ने उन्हें पत्रकारिता में योगदान के लिए 2009 में पद्म श्री के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया था। अभय छजलानी का जन्म 4 अगस्त 1934 में हुआ था। आज शाम 5 बजे रीजनल पार्क मुक्तिधाम में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

उनके निधन का समाचार मिलते ही मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है। इसके अलावा देशभर से पत्रकारों, साहित्यकारों, लेखकों, बुद्धिजीवियों, राजनीतिक दलों एवं गणमान्य नागरिकों ने भी श्रद्धांजलि  दी है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने ट्वीट कर लिखा कि वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री अभय छजलानी जी के निधन का दुखद समाचार प्राप्त हुआ। आपका अवसान पत्रकारिता जगत की अपूरणीय क्षति है। ईश्वर से दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान और परिजनों को यह गहन दु:ख सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना करता हूं। इसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा कि पत्रकारिता जगत की विशिष्ट पहचान पद्मश्री अभय छजलानी जी के निधन का दुखद समाचार प्राप्त हुआ है। मैं दिवंगत आत्मा की शांति एवं परिजनों को यह असीम दु:ख सहने की शक्ति देने की प्रार्थना करता हूं। हिंदी पत्रकारिता के आधारस्तंभ छजलानी जी हमेशा हमारे दिलों में रहेंगे।

2009 में पद्मश्री से किया गया सम्मानित

4 अगस्त 1934 को इंदौर में जन्मे छजलानी ने 1955 में पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रवेश किया। भारत सरकार ने उन्हें पत्रकारिता में योगदान के लिए 2009 में पद्मश्री के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया था। छजलानी भारतीय भाषाई समाचार पत्रों के शीर्ष संगठन इलना के तीन बार अध्यक्ष रह चुके हैं। वे 1988, 1989 और 1994 में संगठन के अध्यक्ष रहे। वे इंडियन न्यूज पेपर सोसायटी (आईएनएस) के 2000 में उपाध्यक्ष और 2002 में अध्यक्ष रहे। 2004 में भारतीय प्रेस परिषद के लिए मनोनीत किए गए, जिसका कार्यकाल 3 वर्ष रहा। उन्हें 1986 का पहला श्रीकांत वर्मा राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया। वर्ष 1965 में उन्होंने पत्रकारिता के विश्व प्रमुख संस्थान थॉम्सन फाउंडेशन, कार्डिफ (यूके) से स्नातक की उपाधि ली। हिन्दी पत्रकारिता के क्षेत्र से इस प्रशिक्षण के लिए चुने जाने वाले वे पहले पत्रकार थे। अभय छजलानी ने शहर के कई प्रमुख मुद्दों को प्रमुखता से उठाया था। इसके साथ ही वह खेलों से भी जुड़े रहे। लंबे समय तक वह मध्यप्रदेश टेबल टेनिस संगठन के अध्यक्ष रहे और फिर आजीवन अध्यक्ष पद पर रहे।

1998 में राष्ट्रीय गौरव पुरस्कार से हुए थे सम्मानित

अभय जी को इंदौर में इंडोर स्टेडियम अभय प्रशाल स्थापित करने के लिए भोपाल के माधवराव सप्रे समाचार पत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान ने सम्मानित किया था। उन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय योगदान के लिए ऑल इंडिया अचीवर्स कॉन्फ्रेंस ने दिल्ली में 1998 में राष्ट्रीय गौरव पुरस्कार दिया गया।

छजलानी जी के जीवन की खास बातें एक नजर में…

इंदौर में आज अभय प्रशाल, टेनिस कॉम्प्लेक्स, बास्केटबाल कॉम्प्लेक्स सहित अन्य स्पोर्टस कॉम्पलेक्स उन्हीं की देन हैं। इस क्षेत्र में पहले यशवंत क्लब था। तब उनकी मंशा थी कि इसके आसपास भी स्पोर्टस कॉम्प्लेक्स विकसित हो। उनका प्रभाव स्पोर्टस ही नहीं कला, संस्कृति या शहर हित के हर बड़े मामले में रहता था। 1980 में स्वर कोकिला लता मंगेश्वर का कार्यक्रम इंदौर में आयोजित करने की कल्पना उन्हीं की थी। उस समय मुख्यमंत्री अर्जुनसिंह थे। उन्होंने छजलानी के इस प्रस्ताव से सहमत होकर हरी झण्डी दी थी। इसके बाद फिर हर साल यह कार्यक्रम होने लगा। इंदौर से जुड़ा कोई भी अहम निर्णय हो, शीर्ष स्तर पर उनकी सहमति जरूर ली जाती थी। उनकी विलक्षण क्षमता अद्भुत थी। मित्रता में भी उनका कोई सानी नहीं था। एक बार जिससे भी उनकी मित्रता हो गई, वह सदैव उससे दिल का नाता बन जाता था, जिसे वे हमेशा निभाते भी थे। वे पत्रकारिता के सिरमौर थे। उनका सरल, सौम्य स्वभाव बहुत प्रभावी था। विकास के मामले में इंदौर कहां पहुंचे इसके लिए उनकी कोई लिमिट नहीं थी। इसमें उनका बहुत बड़ा योगदान रहा। शासन स्तर पर उनका प्रभाव था और इसका असर गजट के रूप में दिखता था। वे हमेशा सत्य के साथ चले और कोई समझौता नहीं किया। उनमें इतना माद्दा था कि जनप्रतिनिधि उनकी सभी बात मानते थे। इंदौर में नर्मदा लाने वालों में भले ही नेताओं के नाम आते हों, लेकिन असल में इसके असल प्रणेता अभय छजलानी जी ही थे। नर्मदा के लिए उन्होंने शासन स्तर पर कई पत्र लिखे और अखबार के जरिए शासन को जागरूक किया।

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