मध्य प्रदेश

अपर कलेक्टर नहीं दे सकेंगे आदिवासियों की जमीन बेचने की अनुमति, अंतरण की अनुमति का अधिकार सिर्फ कलेक्टर को

सरकार से पट्टे पर मिली भूमि के अंतरण के संबंध में भी यही है प्रावधान, दिशा-निर्देश जारी

भोपाल। मध्य प्रदेश में जनजाति वर्ग के व्यक्ति की भूमि को गैर जनजाति वर्ग के व्यक्ति को विक्रय की अनुमति अब जिले के अपर कलेक्टर नहीं दे सकेंगे। इस संबंध में राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी ने सभी जिला कलेक्टरों को मध्य प्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 165 के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी द्वारा प्रदेश के कलेक्टरों को दिए गए दिशा निर्देशों में कहा गया है कि प्रदेश के जनजाति अधिसूचित 89 विकासखंडों के अलावा अन्य क्षेत्रों में जनजाति वर्ग के व्यक्ति की भूमि को गैर जनजाति वर्ग के व्यक्ति को विक्रय की अनुमति सिर्फ जिला कलेक्टर द्वारा ही दी जा सकती है, न कि अपर कलेक्टर द्वारा। क्योंकि, अपर कलेक्टर जिला कलेक्टर के अधीनस्थ श्रेणी का राजस्व अधिकारी है। सरकार से पट्टे पर मिली भूमि के अंतरण के संबंध में भी यही प्रावधान है। इसलिए कलेक्टर द्वारा एवं अपर कलेक्टर के मध्य कार्य विभाजन करते समय उक्त विधिक प्रावधानों को ध्यान में रखने के निर्देश दिए गए हैं।
मध्यव प्रदेश में 89 विकासखंडों में 15 नवंबर से पेसा एक्ट लागू होने के बाद इसको लेकर राजस्व विभाग ने नया स्पष्टीकरण जारी किया है। राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव ने स्पष्ट किया है कि भूमि अंतरण के ऐसे मामले जो आदिवासी वर्ग की भूमि से संबंधित हैं तथा अधिसूचित क्षेत्र से अलग क्षेत्र के हैं। उन क्षेत्रों में यदि कोई आदिवासी भूमि स्वामी गैर आदिवासी के पक्ष में अपनी जमीन ट्रांसफर कराना चाहता है या ऐसे भूमि स्वामी जो धारा 158 (3) श्रेणी के हैं और अपनी भूमि ट्रांसफर करना या बेचना चाहते हैं उन्हें भूमि बिक्री के पहले कलेक्टर से अनुमति लेना अनिवार्य होगा।

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