मध्य प्रदेश

महाकालेश्वर मंदिर की दर्शन व्यवस्था पर नाराज हुए पं. प्रदीप मिश्रा : कर्मचारियों को मंच से सुनाई खरी-खोटी

बोले- भक्तों को धकेले जा रहे हो, इतना अभिमान ठीक नहीं, उन्हें दर्शन तो करने दो, तुम्हारे भाग्य अच्छे हैं, बाबा ने तुम्हें अपने चरणों में नौकरी दी, वरना...

उज्जैन। मध्यप्रदेश स्थित विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन में पंडित प्रदीप मिश्रा की शिव पुराण कथा के अंतिम दिन पं. मिश्रा महाकाल मंदिर में ड्यूटी पर तैनात कर्मचारियों पर जमकर नाराज हुए। उन्होंने मंच से ही उन्हें खूब खरी-खोटी सुनाई।
प्रख्यात कथाकार सीहोर वाले पं. प्रदीप मिश्रा ने कहा कि लोग पैसा लगाकर हजारों किलोमीटर दूर से बड़ी आस्था लेकर महाकाल मंदिर आते हैं और तू उनके दरवाजे पर खड़े होकर भक्तों के जयघोष भी नहीं झेल पा रहा। उन्हें दर्शन तो करने दो, धकेलो मत। बाबा के भक्तों को धकेले जा रहे हो, इतना अभिमान ठीक नहीं। व्यक्ति के भीतर अभिमान नहीं आना चाहिए कि मैं महाकाल के मंदिर में दर्शन करवा सकता हूं। न जाने तेरे कौन से ऐसे भाग्य अच्छे थे, जो तेरी ड्यूटी महाकाल ने अपने चरणों में लगा रखी है। ये तेरी किस्मत है, वरना तुम्हारे जैसे न जाने कितनों को महाकाल ने झारखंड में जंगल में छोड़ रखा है, जो रोज गोलियां झेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि तुम किस अहंकार में जी रहे हो, जरा सी देर में तुमने कह दिया जल्दी-जल्दी बाहर निकलो, दर्शन नहीं करने देना। अरे, उस महाकाल को धन्यवाद दो कि उसने अपने चरणों की नौकरी दी है तुम्हें, वरना न जाने कहां-कहां ठोकर खाते रहते, कहां-कहां पड़े रहते

पं. मिश्रा ने मीडिया पर भी कसा तीखा तंज…

इसके बाद उन्होंने मीडिया पर भी तंज कसते हुए कहा कि यह सीहोर वाला महाराज बहुत कड़क बोलता है। उन्होंने कहा कि जिसको जितना छापना है छापो। छापने वाला कितना भी छापे… आग लगे बस्ती में और अपन रहो मस्ती में…, कब तक रोएंगे कि यह बोल दिया, वह बोल दिया, यह छाप दिया, छापो जितना छापना है।

कथा सुनने आए श्रद्धालुओं ने की थी पंडित जी से शिकायत

उज्जैन में पं. मिश्री की शिवपुराण कथा का आयोजन 4 से 10 अप्रैल तक था। कथा सुनने के लिए लाखों श्रद्धालु देशभर से बड़नगर रोड स्थित पंडाल में पहुंचे। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु बाबा महाकाल के दर्शन के लिए भी पहुंचे। इन्हीं में से कुछ भक्तों ने महाकाल मंदिर की दर्शन व्यवस्था को लेकर पंडित मिश्रा से शिकायत की थी। इस शिकायत पर पंडित जी बेहद दुखी नजर आए। इसके बाद अंतिम दिन की कथा के दौरान पं. मिश्रा ने मंच से ही महाकालेश्वर मंदिर के कर्मचारियों पर जमकर बरसे और उन्हें खूब खरी-खोटी सुनाई।

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