लेखक की कलम से

मेरे गणराज …

गजमुख भेदभाव,

हर सम्मान दिलाते,

मस्तक पे सिंदूर,

हँस मुख बनाते,

उदर दरिद्रता,

दूर कराते,

एकदंत रचना,

को करता,

सूपा जैसे कान,

अच्छाई,

ग्रहण कराते,

प्रिय मोदक,

सबको अघाते,

मुसक सवारी,

निरीहता को,

गले लगाते,

ओ मेरे गणराज,

तुम अधिराज,

ज्ञानदाता विघ्नहर्ता,

क्लेश दूर पापहर्ता,

मातु पिता को मान दिलाते ||

 

    ©योगेश ध्रुव, धमतरी, छत्तीसगढ़     

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