कान्हा से फरियाद …
मेंरी जिद है मेंरे कान्हा तुझे फरियाद करती हूँ।
इस जन्म में तुझे पाना, कोशिश हजार करती हूँ
तुझे खोजा जो मन्दिर, ढूंढने चली वृंदावन में
कुंज गली भी ढूँढी, मिले न तुम कही मुझको
जो बैठी नैन मूंद कर मै, बंसी की धुन सुनी
अंतर्मन में, हमने सुना साँवरे तुम बडे
दयालु हो कृपालु हो…
मेंरी रसना में बस जाओ या फिर अंतर्मन में
रूक जाओ ।
आँखें बंद करूँ, जब भी साक्षात्कार तुम्हारे हो।
मेंरे अधरों में तेरी ही स्तुति हो भगवान
तेरी याद में प्यारे मेंरी आखिरी हिचकी हो।
मेंरे रोम रोम में तुम हो, व्योम से तुम हो
शून्य के शांत चित से हो, जगत आधार तुम मोहन
तुम चंदन की लता प्यारे, मै पापिन भुवंग भांति
तेरी भक्ति में रम कर देह, कृष्ण में लीन हो जाऊं।
मै प्रकाश पुंज जुगूनु,तू करोडो सूर्या का तेज प्यारे
तेरी लौ में मिलकर मै
भक्तिमय मोक्ष पा करके अमर हो जाऊं।
मेंरी विनती मेंरे कान्हा मेंरी ये जिद है प्यारे
मेंरे अधरों तेरा नाम आठो की पहर हो
तुझको पा कर जन्म मेंरा सफल हो जाए।
©आकांक्षा रूपा चचरा, कटक, ओडिसा
वरिष्ठ कवयित्री व शिक्षिका