लेखक की कलम से

याद…

यकीं मत कर ज़माने पर

मिलेगा सब कमाने पर

 

बहुत तकलीफ़ होती है

यूं अपनों को जलाने पर

 

मरें वापस नहीं आतें

सुनो ऐसे बुलाने पर

 

ये घर का बोझ कितना है

समझ आया उठाने पर

 

मैं सब कुछ भूल जाता हूं

उन्ही के याद आने पर

 

©ऋषिकेश चौहान, हरदीबाजार, कोरबा

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