मध्य प्रदेश

बेसहारा गोवंश को सहारा देना शासन की प्राथमिकता : स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरी

भोपाल। मध्यप्रदेश गोसंवर्द्धन बोर्ड कार्यपरिषद के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरी ने कहा कि प्रदेश में बेसहारा गोवंश को ‘अनार्थिक और अनुपयोगी’ आरोप से मुक्त कराकर शासकीय आश्रय देकर उन्हें आर्थिक रूप से उपयोगी और प्रासंगिक बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। बड़े स्तर पर निराश्रित गोवंश को आश्रय देने के लिए “गो वन्य विहार” की संभावनाओं के मद्देनजर स्वामी श्री गिरी द्वारा अब तक जबलपुर, रीवा, नरसिंहपुर, सागर, छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट, मंडला, छतरपुर, टीकमगढ़, पन्ना, शिवपुरी, बैतूल, हरदा, खंडवा, नर्मदापुरम, रायसेन, राजगढ़, मंदसौर, नीमच और खरगोन जिलों का दौरा किया जा चुका है। यह दौरा निरंतर जारी है।

स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरी ने कहा कि जन-सहयोग से बड़े आकार के गोसेवा केन्द्रों का निर्माण किया जाएगा। इन केन्द्रों में ग्रामीण क्षेत्रों के बेरोजगार युवक-युवतियों को गो उत्पाद प्रशिक्षण देकर रोजगारोन्मुख बनाया जाएगा। इससे गोशालाएँ भी आत्म-निर्भर होंगी। स्वामी श्री गिरी इन दिनों जिलों का सघन प्रवास कर शासकीय एवं आशासकीय गोशालाओं के संचालक और प्रबंधकों के साथ बैठक कर गोशालाओं में संरक्षित गोवंश की संख्या, ग्राम पंचायतों में मनरेगा की सहायता से मुख्यमंत्री गोसेवा योजना में निर्मित गोशालाओं की अद्यतन स्थिति की समीक्षा कर भी रहे हैं। उन्होंने उपस्थित अधिकारियों को बैठक में गोशाला संचालन की सामने आ रही कठिनायों को तुरंत दूर रखने के निर्देश दिए हैं।

स्वामी श्री गिरी ने कहा कि ग्रामीण और नगरीय क्षेत्र की सड़कों, हाईवे, चौराहे आदि पर बेसहारा गो-वंश के संरक्षण के लिए गोशाला ही एक मात्र विकल्प नहीं है। “गाय का भोजन जंगल में और जंगल का आहार गोवंश के पास” के प्राकृतिक समीकरण के आधार पर किसानों की फसल सुरक्षा और गोवंश संरक्षण के लिए गोवंश वन्य विहार की स्थापना की जा रही है। मुख्यमंत्री गो-सेवा योजना में अब तक पंजीकृत 1170 गो-शालाओं में 1 लाख 3 हजार और अशासकीय 627 गो-शालाओं में एक लाख 87 हजार गो-वंश का पोषण किया जा रहा है।

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