मध्य प्रदेश

कांग्रेस में जिला प्रभारियों की नियुक्ति को लेकर छिड़ा विवाद, सबसे ज्यादा ब्राम्हण चेहरे को दी गई तरजीह …

भोपाल। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने दो दिन पहले ही मध्य प्रदेश के सभी 52 जिलों के लिए प्रभारी नियुक्त किए हैं. इसमें छिंदवाड़ा को तो इतनी तरजीह दी गयी है कि वहां तीन प्रभारी तैनात कर दिए गए. अब इस नियुक्ति को लेकर विवाद खड़ा हो गया है.

एक तरफ आदिवासियों को साधने के लिए कांग्रेस पार्टी बड़े ऐलान कर रही है. वहीं, दूसरी ओर 52 जिलों में बनाए गए प्रभारियों में आदिवासी चेहरों को जगह नहीं दी गयी है. इससे सीधे-सीधे सवाल उठ रहे हैं कि कांग्रेस सवर्णों की राजनीति कर रही है. दलित आदिवासी उसकी प्राथमिकता में नहीं हैं.

ऐसे समय में जब बीजेपी अपना पूरा ध्यान आदिवासियों और दलितों पर लगाए है, कांग्रेस की ये चूक भारी पड़ सकती है. नवनियुक्ति प्रभारियों में सबसे ज्यादा ब्राह्मण चेहरों को पार्टी ने जगह दी है. करीब 20 ब्राह्मण नेता जिला प्रभारी बनाए गए हैं. आदिवासियों की तरह ही अनुसूचित जाति वर्ग को भी 52 जिलों के प्रभारियों में तवज्जो नहीं मिली.

कांग्रेस के इस रवैये पर बीजेपी ने बिना देरी किए निशाना साध दिया. बीजेपी के प्रदेश मंत्री रजनीश अग्रवाल ने कहा कांग्रेस पार्टी ने जिला प्रभारी बनाने में महिलाओं, अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग की उपेक्षा की है. कांग्रेस पार्टी के पास चेहरों की कमी हो गई है. यही वजह है कि अब ढूंढे से उसे नेता नहीं मिल रहे हैं. दलित-आदिवासियों की उपेक्षा पर कांग्रेस ने अजीब तर्क दिया है.

पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष चंद्रप्रभाष शेखर ने कहा कि आगामी चुनाव के लिहाज से आदिवासी चेहरों को सूची में तवज्जो नहीं दी गई है, लेकिन सह प्रभारियों की सूची में आदिवासियों को प्राथमिकता दी जाएगी.

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