मध्य प्रदेश

आर्थिक घपलों पर सतर्क हुई सरकार, विभागों को दिए दिशा-निर्देश

भोपाल

मध्यप्रदेश के सरकारी महकमों में जो वित्तीय गबन-घोटाले सामने आए है ये सभी प्रदेश के सात संभागों में ज्यादा हुए है। वित्तीय गबन-घोटाले सामने आने के बाद आयुक्त कोष एवं लेखा ज्ञानेश्वर पाटिल ने सभी सरकारी विभागों को इन वित्तीय गड़बड़ियों से बचने के लिए एसओपी जारी की है। इसके जरिए सरकारी विभागों में निकलने वाले वित्तीय गबन घोटालों को रोकने किस तरह की सावधानियां रखे इसको लेकर सतर्क किया गया है।

 आयुक्त कोष एवं लेखा ज्ञानेश्वर पाटिल ने सभी विभागों को कहा है कि सभी विभागों के आहरण एवं संवितरण अधिकारी अपनी लॉगइन आईडी एवं पासवर्ड अलग-अलग निर्धारित करें और किसी अन्य कर्मचारी से इसे शेयर नहीं करे। आयुक्त कोष एवं लेखा द्वारा गबन के लिए एसफाईसी गठित कर जानकारी और आॅनलाईन डाटा का विश्लेषण कर संदिग्ध भुगतान को चिन्हित किया जाएगा। संदिग्ध भुगतान की जांच करने के लिए संबंधित संभागीय संयुक्त संचालक कोष एवं लेखा अथवा अन्य चिन्हांकित अधिकारी को पत्र लिखकर इसकी कॉपी जिले के कलक्टर और वरिष्ठ कोषालय अधिकारी को दी जाएगी। संदिग्ध भुगतान की सूचना वरिष्ठ कोषालय अधिकारी अपने जिले के कलेक्टर को देगा।

आयुक्त कोष एवं लेखा के डेटा विश्लेषण में यदि संदिग्ध भुगतान की जानकारी मिलती है तो जांच पूरी होने तक संबंधित बैंक को संदिग्ध भुगतान से संबंधित खातों से धन की निकासी रोकने की तत्काल सूचना देना होगा। जिस अधिकारी या कर्मचारी द्वारा गड़बड़ी की गई है उस अधिकारी, कर्मचारी या संस्था के खातों को होल्ड किए जाने की कार्यवाही की जाएगी। ताकि उसके खाते से राशि नहीं निकाली जा सके और गबन प्रमाणित होने पर उस राशि की वसूली तत्काल की जा सकेगी।

प्रदेशभर में 173 पर एफआईआर
इंदौर कलेक्टर कार्यालय में 54, केन्द्रीय जेल भेरुगढ़ जिला उज्जैन में 10 डीडी वेटनरी सर्विसेस आगर मालवा में 9, बालाघाट बीईओ कार्यालय में 15, रायसेन सीएमएचओ कार्यालय के 12 बीईओ छिंदवाड़ा कार्यालय मे ं 8,एसएससीओ पुष्पराजगढ़ में 7, बीईओ नरसिंहपुर में 7 इस तरह कुल 173 अधिकारियों-कर्मचारियों पर एफाईआर दर्ज कराई गई है।

जांच दल का गठन होगा
संभागीय संयुक्त संचालक के द्वारा आयुक्त के द्वारा पत्र मिलने पर एक दिन में जांच दल का गठन किया जाएगा और उसे आहरण एवं संवितरण अधिकारी की जांच के लिए भेजा जाएगा। संभागीय संयुक्त संचालक के द्वारा जांच दल गठन हेतु अपने संभाग के अन्य कोषालय के अधिकारी एवं कर्मचारी भी उसी कोषालय के अधिकारी शामिल किए जाएंगे जहां इस तरह की अनियमितता सामने नहीं आई है। जांच दल अनियमित भुगतान की तथ्यों के आधार पर जांच करेगा। इसमें संदिग्ध अवधि के पेमेंट आर्डर लिस्ट एवं रीकेंसिलेशन रिपोर्ट को संबंधित कोशालय से प्राप्त किया जाएगा। वेतन, भत्तों एवं कटौत्रों की पे रोल मॉडयूल से संबंधित वर्षवार और बिलवार रिपोर्ट तैयार कर डॉटा कार्यालय आयुक्त कोष एवं लेखा से उपलब्ध कराएगा।  संबंधित बैंक से अपचारी अधिकारी, कर्मचारी संदिग्ध भुगतान प्राप्तकर्ताओं के सभी बैंक खातों का विवरण एवं जांच हेतु अवधि के बैंक स्टेटमेंट बैंक से प्राप्त करेगा।

शासकीय राजस्व को शासकीय कोष में जमा नहीं कर उपभोग करना, राजस्व प्राप्तियो के संबंध में एक चालान के विरुद्ध अधिक राशि की सेवा प्राप्ति, दो बार सेवा प्राप्ति एवं कूटरचित चालानों के प्रयोग से सेवा प्राप्ति के प्रकरण्णों को भी गबन माना जाएगा।  संदिग्ध भुगतान, अनियमित भुगतान, अधिक भुगतान, अवैध भुगतान, गबन की कार्यालय आयुक्त कोष के द्वारा जांच हेते भेजे गए पत्र में समान देयकों की विशेष रूप से जांच की जाएगी।

ग्वालियर संभाग में 12 घोटाले मिले
सात संभागों के के 43 कार्यालयों में मिले मामलों में   ग्वालियर, इंदौर-उज्जैन में सर्वाधिक मामले मिले है। उज्जैन संभाग में 8, इंदौर संभाग में 8, सागर में दो, रीवा में 4, भोपाल में पांच, जबलपुर में चार, ग्वालियर संभाग में बारह कार्यालयों में गबन-घोटाले मिले है।

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