मध्य प्रदेश

भारत जोड़ो यात्रा में पहुंचे कांग्रेस नेता की हार्टअटैक से मौत, राहुल के साथ चलने की इच्छा रह गई अधूरी

कांग्रेस में हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल थे मांगीलाल उर्फ मारुफ शाह

भोपाल। मध्य प्रदेश में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के 11वें दिन एक बुरी खबर सामने आई है। यात्रा में शामिल होकर राहुल गांधी के साथ चलने के लिए 3 दिन से तैयारियों में जुटे राजगढ़ के कांग्रेस नेता की हार्टअटैक से मौत हो गई। यात्रा में शामिल होने के लिए सुसनेर आए जीरापुर के पूर्व नगर पालिका उपाध्यक्ष 55 वर्षीय मांगीलाल उर्फ मारुफ शाह का शनिवार को निधन हो गया। यहां आने के बाद वह काफी खुश नजर आ रहे थे और राहुल के साथ चलने को लेकर वह काफी उत्साहित थे। उन्होंने सुसनेर में होने वाली यात्रा के लिए चाय का स्टॉल भी लगाया था।

जानकारी के अनुसार यात्रा में शामिल होने के लिए मांगीलाल शाह शनिवार को 5 बजे सुसनेर पहुंच गए थे। उन्होंने वहां चाय का स्टाल भी लगवा रखा था। यात्रा शुरू होने के समय वह अपने स्टाल के पास ही टहल रहे थे। इसी दौरान वे अचानक गिर गए। तत्काल उन्हें यात्रा में साथ चल रही एंबुलेंस में लाया गया। यात्रा में मौजूद डॉक्टर्स ने उनका इलाज किया। उन्हें सीपीआर दिया गया। इसके बाद भी जब होश नहीं आया तो डॉक्टर्स ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। जीरापुर के वार्ड 14 से पार्षद प्रतिनिधि और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य रहे मांगीलाल शाह की मौत के बारे में पता चलने पर कांग्रेसियों में शोक की लहर फैल गई। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह खुद उनके जनाजे में शामिल हुए और उन्हें कंधा भी दिया। सुसनेर में आयोजित राहुल गांधी की सभा का नाम भी बदलकर श्रद्धांजलि सभा कर दिया गया। सुसनेर में मौत के बाद उनका पार्थिव शरीर जीरापुर ले जाया गया, जहां शनिवार को ही उन्हें सुपुर्दे खाक किया गया। उनके जनाजे में हजारों लोग शामिल हुए। रास्ते में नगर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने उनके जनाजे को कांग्रेस का झंडा ओढ़ाया।

दिग्विजय सिंह बोले- मांगीलाल का जाना मेरी निजी क्षति

कांग्रेस नेता मांगीलाल शाह दिग्विजय सिंह के काफी करीबी माने जाते थे। उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हुए राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने बताया कि मांगीलाल शाह का जाना मेरी बड़ी भारी निजी क्षति है। वे एक ऐसे व्यक्ति थे, जो सबका साथ देते थे। सबकी मदद करते थे। इंसानियत का उनका स्वरूप था। वे कभी जाति, बिरादरी और धर्म का भेदभाव नहीं करते थे। आज वे हमारे साथ नहीं है, मुझे इस बात का दु:ख है। वह राहुल गांधी से मिलना चाहते थे, लेकिन क्या कर सकते हैं, वह उनके आने से पहले ही चले गए।

हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल थे मांगीलाल, अपने बच्चों के नाम हिंदू ही रखे

क्षेत्र में मांगीलाल हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल थे। उनका असली नाम तो मारुफ शाह था, लेकिन उन्हें लोग मांगीलाल शाह के नाम से ही जानते थे। धार्मिक सौहार्द्र की मिसाल पेश करने के लिए उन्होंने अपने तीनों बच्चों के नाम भी हिंदू ही रखे। उनकी सबसे बड़ी बेटी का नाम सपना है, जिसकी शादी हो चुकी है। दूसरे नंबर का बेटा आशीष (26) है, वह मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है। उनका तीसरा बेटा चूचू शाह (23) जीरापुर से ही पढ़ाई कर रहा है। मांगीलाल अक्सर मंदिर जाकर आरती और हवन में भी शामिल होते थे।

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