लेखक की कलम से

आज भी राज्योत्सव से बहुत दूर है जशपुर

सरहद पर खड़ा दरकिनार जशपुर, बात 19 साल पुरानी है या यूं कहूं सदियों पुरानी है, राजा रजवाड़ों का जिला जशपुर, अपने सरहदों पर कई राज्यों को जोड़ता जशपुर, पड़ोसी राज्यों का विकास देखता जशपुर, प्राकृतिक सौंदर्य से भरा जशपुर, विभिन्न प्रकार की जनजातियों का रूप दिखाता जशपुर, सब की पहुंच से बहुत दूर है जशपुर ,सरहद पर खड़ा दरकिनार है जशपुर ।

छत्तीसगढ़ राज्य के बनने के 20 साल में प्रवेश कर चुका है प्रगति नजर आती तो है पर धरातल पर नहीं। कहीं सिर्फ एक ही जगह पर दोनों तरफ 100 किलोमीटर की सड़कें सोने की तरह चमचमा रही है और कहीं 100 किलोमीटर तक सड़क ही नजर नहीं आती। सड़के किसी भी राज्य के विकास के लिए जीवन रेखा की तरह होती है। मैं बात कर रहा हूं जिला जसपुर की जहां पहुंच पाना आज अपने आप में एक चुनौतीपूर्ण सफर हो गया वहां के लोग भी सफर तो कर ही रहे हैं पर कहीं ना कहीं अब इन सड़कों पर चलना उनकी आदत हो चुकी है।

 पिछले 19 सालों में कई मंत्री मुख्यमंत्री सांसद आए और चले गए। उनकी हवाई यात्रा ने कभी भी जमीनी यात्रा का कष्ट नहीं उठाया। जिले से भी जो भी प्रतिनिधि संसद तक पहुंचे विधानसभा तक पहुंचे वह भी आज तक इस जीवन रेखा के लिए कुछ नहीं कर पाए। 19 साल पहले भी 200 किलोमीटर का सफर 10 घंटे में होता था और आज भी 10 घंटे से ज्यादा लग जाते हैं। विकास तो हुआ है पर धरातल पर नहीं। विभिन्न जनजातियों बहुल प्रजातियों का जशपुर, केंद्र से राज्य से करोड़ों रुपए हर साल उनके विकास के लिए आता है पर आज तक किसी भी नेता राजनेता अफसर ने धरातल से जाकर इन तक पहुंचने की कोशिश भी नहीं की। पैसे आए और चले गए और वह लोग आज भी अपने घरों तक पहुंचने के लिए पगडंडियों का इस्तेमाल ही करते हैं।

 यहां मैं गांव की बात तो कर ही नहीं रहा मैं बात कर रहा हूं राष्ट्रीय राजमार्ग धर्मजयगढ़ के बाद पत्थलगांव से जशपुर सफर करने लायक ही नहीं बचा। आंदोलन सारे थम गए। सरकार बदलने से उम्मीद जागी पर बीते कुछ महीनों में किसी भी कार्य की सुगबुगाहट तक नहीं हुई। सरकार बदलने का कारण सड़क था सड़क से लोग जीत के संसद और विधानसभा तक तो पहुंच गए पर लौट लौट कर उन सड़कों की सुध तक ना ली। दिन के उजालों में कभी यह सो डेढ़ सौ का किलोमीटर का सफर तय करिए पूरे रास्ते से सरकार को कोसने के अलावा कुछ हासिल नहीं होता। आश्चर्य तो तब होता है जब नेशनल हाईवे में सड़के ही नहीं। सरकार बनी है यह भी 5 साल पूरे कर के चली जाएगी और जशपुर का विकास अब सिर्फ जशपुर के हाथ ही है।

 अपनी ही जिला जाने के लिए दूसरे राज्यों का इस्तेमाल करना पड़ता है। उड़ीसा झारखंड यह सड़कें सालों से वैसे ही और बेहतरीन है उनके कार्य की गुणवत्ता 19 सालों में दिखते हैं। और हमारी 19 सालों में टिकती ही नहीं पुरानी सरकार के अंतिम दिनों में कार्य शुरू तो हुआ पर गुणवत्ता की कमी साफ नजर आने लगी। कुछ ठेकेदारों ने आधे रास्ते में ही काम छोड़ा और चले गए कुछ काम करने की कोशिश तो कर रहे हैं पर कहीं भी किसी भी तरह से सहूलियत नहीं। अभी की स्थिति आने वाले और बहुत से सालों तक शायद सुधरने नहीं वाली एक कोशिश है।  

मेरी कोशिस हमारे जनप्रतिनिधियों को जगाने की है कि बस जीवन रेखाएं सुधार दो। हमें भी राज्योत्सव मनाने का मौका दो। ऐसा राज्य नहीं चाहिए जहां प्राकृतिक सौंदर्य तो फूट-फूटकर भरा है पर उस सौंदर्य तक पहुंचने का मार्ग नहीं।

डॉ. अंशुमन जैन, बिलासपुर

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