लेखक की कलम से

महाशिवरात्रि, महादेव और मान्यताएं …

महाशिवरात्र‍ि हिंदुओं का एक धार्मिक त्योहार है, जिसे हिंदू धर्म के प्रमुख देवता महादेव अर्थात शिव के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। महाशिवरात्र‍ि का पर्व फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन शिवभक्त एवं शिव में श्रद्धा रखने वाले लोग व्रत-उपवास रखते हैं और विशेष रूप से भगवान शिव की आराधना करते हैं।

महाशिवरात्र‍ि को लेकर भगवान शिव से जुड़ी कुछ मान्यताएं प्रचलित हैं। ऐसा माना जाता है कि इस विशेष दिन ही ब्रम्हा के रूद्र रूप में मध्यरात्र‍ि को भगवान शंकर का अवतरण हुआ था। वहीं यह भी मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने तांडव कर अपना तीसरा नेत्र खोला था और ब्रम्हांड को इस नेत्र की ज्वाला से समाप्त किया था। इसके अलावा कई स्थानों पर इस दिन को भगवान शिव के विवाह से भी जोड़ा जाता है और यह माना जाता है कि इसी पावन दिन भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था।

वैसे तो प्रत्येक माह में एक शिवरात्र‍ि होती है, परंतु फाल्गुन माह की कृष्ण चतुर्दशी को आने वाली इस शिवरात्र‍ि का अत्यंत महत्व है, इसलिए इसे महाशिवरात्र‍ि कहा जाता है। वास्तव में महाशिवरात्र‍ि भगवान भोलेनाथ की आराधना का ही पर्व है, जब धर्मप्रेमी लोग महादेव का विधि-विधान के साथ पूजन अर्चन करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस दिन शिव मंदिरों में बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है, जो शिव के दर्शन-पूजन कर खुद को सौभाग्यशाली मानती है।

 महाशिवरात्र‍ि के दिन शिव का विभिन्न पवित्र वस्तुओं से पूजन एवं अभिषेक किया जाता है और बिल्वपत्र, धतूरा, अबीर, गुलाल, बेर, उम्बी आदि अर्पित किया जाता है। भगवान शिव को भांग बेहद प्रिय है अत: कई लोग उन्हें भांग भी चढ़ाते हैं। दिनभर उपवास रखकर पूजन करने के बाद शाम के समय फलाहार किया जाता है।

 

©पद्युम्न तिवारी, मुंगेली

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