लेखक की कलम से

सुप्रभात …

 

हथिया नक्षत्र

1

मन की उलझन किसे बताएं

अपना कौन है किसे जताएं

तूफानों से दिल डरता है

सब अपने हैं किसे सताएं!

लता प्रासर

 

2

दिल बेचैन हैं पर कहने को शब्द नहीं

लिखना है कुछ कलम चलती ही नहीं

कोलाहल है चारों ओर अंदर भी तुफान है

अपने हैं सभी यहां पर मोहब्बत ही नहीं!

 

©लता प्रासर, पटना, बिहार

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