मध्य प्रदेश

एमपी में चपरासी बना विकासखंड शिक्षा अधिकारी, पहला आदेश ऐसा निकाला कि सभी भौंचक्के रह गए

प्रभारी बीईओ रमेश श्रीवास।

भोपाल। आपने किताबों में पढ़ा होगा, संत-पुरुषों और महात्माओं के मुंह से भी यह सीख सुनी होगी कि चाहे आप कितने ही बड़े हों या हो बड़े हो जाएं, किसी अन्य को छोटा मत समझिए। अपने कर्म, आचार-विचार, व्यवहार से ऐसा कभी मत कीजिए कि किसी के मन में छोटे होने का भाव पैदा हो। लेकिन आज के समय में इस सीख पर अमल करने वाले बिरले ही मिलेंगे। ऐसे में इस सीख पर भिंड के शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने अमल करते हुए सभी के दिल को छू लिया।

बीईओ ऑफिस का प्रभार मिलने के बाद स्टॉफ के साथ अपने एक दिन के चेंबर में बैठे प्रभारी बीईओ रमेश श्रीवास।

दरअसल, भिंड विकासखंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) के पद पर पदस्थ सुदामा सिंह भदौरिया ने अपने कार्यालय के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी (चपरासी) रमेश श्रीवास को एक दिन के लिए अपनी कुर्सी पर बैठाकर न केवल ब्लॉक शिक्षा अधिकारी का कार्य कराया, बल्कि खुद एक सामान्य कर्मचारी की भांति कार्य किया। हर रोज ऑफिस की साफ-सफाई से लेकर पूरे स्टॉफ के चाय-पानी की फिक्र करने वाले चपरासी को ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर ने अपनी कुर्सी पर बैठाकर निर्णय लेने का दायित्व दिया। यह प्रभार सौंपने से पहले श्री भदौरिया ने जिला शिक्षा अधिकारी से भी परमिशन ली थी। वहीं, भृत्य रमेश श्रीवास ने बीईओ की कुर्सी संभालते ही सबसे पहले सीएमराइज स्कूल की पढ़ाई व्यवस्था देखी। यहां शिक्षकों की उपस्थिति से लेकर वहां की छात्र संख्या आदि का रिकॉर्ड मांगा। उन्होंने अपने निरीक्षण के दौरान मिलीं कमियों को दुरुस्त करने के संबंधितों को निर्देश दिए। फिर दफ्तर में स्वच्छता को ध्यान रखते हुए गुटखा, पान, तंबाखू खाने वालों पर सख्ती बरतते हुए यहां-वहां थूकने वालों पर 200 रुपए का जुर्माना लगाने का आदेश जारी किया। यह आदेश बाकायदा कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर चस्पा किया गया है। यही नहीं, उन्होंने ऑफिस में रंगाई-पुताई के निर्देश भी दिए और इस दौरान कार्यालय में अपने काम से आने वालों की समस्याएं और बातें भी पूरी गंभीरता से सुनीं और उन पर भी समुचित निर्देश दिए। रमेश श्रीवास की सक्रियता और आदेश-निर्देश देख दफ्तर में मौजूद सीनियर से लेकर जूनियर कर्मचारी, बाबू, अधिकारी सभी भौंचक्के रह गए।

प्रभारी बीईओ रमेश श्रीवास द्वारा निकाला गया वह आदेश, जिसे देख सभी भौंचक्के रह गए।

किसी के मन में छोटे होने का भाव न हो

बीईओ सुदामा सिंह भदौरिया कहते हैं कि मेरी ज्वाइनिंग के बाद मेरे मन में कई बार ऐसा लग रहा था कि मेरे स्टॉफ के कर्मचारी मुझसे दबा हुआ तो नहीं महसूस कर रहे हैं। उनके अंदर अपने छोटे होने का भाव तो नहीं है, मेरे प्रति उनका व्यवहार कैसा है? इसलिए मैंने ये काम निचले स्तर से शुरू करते हुए करना शुरू किया और चपरासी को बीईओ बनाया। आज मैं साधारण कर्मचारी की तरह कार्य कर रहा हूं। मैंने यह एक प्रयोग किया है। किसी भी कर्मचारी के मन में यह भाव न रहे कि हम छोटे कर्मचारी हैं। मेरा उद्देश्य यही है।

मेरी नौकरी का सबसे खास दिन था

वहीं एक दिन के बीईओ बनने पर रमेश श्रीवास ने समस्त स्टाफ का धन्यवाद अदा किया और साथ ही कहा कि उनके जीवन में यह सबसे खुशी का पल है। उनको भृत्य से भले ही एक दिन का बीईओ बनाया गया, लेकिन उनकी खुशी का ठिकाना नहीं है। यह मेरी नौकरी का सबसे खास दिन रहा। आज तक मैंने यह बात कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि कभी मैं ऑफीसर बन सकूंगा। हर रोज सीनियर से लेकर जूनियर अफसर और कर्मचारियों की सेवा ही मेरा दायित्व था। परंतु, 1 दिन का ब्लॉक एजुकेशन अफसर का दायित्व देकर मुझे मेरी सेवा का सम्मान दिया गया। इसके लिए मैं वरिष्ठ अफसरों का आभारी हूं। वहीं, ब्लॉक शिक्षा अधिकारी सुदामा सिंह भदौरिया ने कहा कि उन्होंने एक दिन का पद भृत्य को देकर उनको सम्मान देने का प्रयास किया है। शाम 4 बजे के बाद अपना पद छोड़ने पर ऑफिस के कर्मचारियों ने गिफ्ट देकर रमेश श्रीवास का बिदाई सम्मान भी किया।

याद आई 2001 में आई अनिल कपूर की फिल्म ‘नायक’

2001 में आई अनिल कपूर की सफल और सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म ‘नायक’ की कहानी लोगों के दिलों को छू गई थी। मूवी में नायक अनिल कपूर ने एक दिन का सीएम बनकर लोगों के दिलों को छुआ था। इसी तरह भिंड शहर के बीईओ कार्यालय में सब कुछ नायक फिल्म की तर्ज पर हो रहा था। जिस तरह नायक फिल्म में हीरो अनिल कपूर को एक दिन का सीएम बनाया जाता है। उसी तरह से दफ्तर में तैनात चपरासी रमेश श्रीवास को ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर भदौरिया ने एक दिन का बीईओ का प्रभार सौंपकर भी सभी के दिल को छुआ है।

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