मध्य प्रदेश

3 एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर पर, डॉग की बढ़ती संख्या पर नहीं लगा ब्रेक

  •  आवारा कुत्तों की नसबंदी पर हर साल 1.5 करोड़ का बजट  
  •  3 एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर पर, डॉग की बढ़ती संख्या पर नहीं लगा ब्रेक
  •  कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने आवारा कुत्तों को पकड़ने के दिए निर्देश

भोपाल
  राजधानी में  सात  माह के एक बच्चे को  तीन आवारा कुत्तों द्वारा मार डालने की घटना ने एक बार फिर नगर निगम की कलई खोल दी है। हकीकत तो यह है कि राजधानी में ही मासूमों की जान के बने इन आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिये निगम की अभी तक कोई कारगर योजना सामने नहीं आ पाई है।  

घटना अयोध्या बायपास स्थित मीनाल रेसीडेंसी के पास की है।  सोशल मीडिया पर जब यह घटना वायरल हुई तब कल  पुलिस ने मर्ग कायम किया है।  घटना की गंभीरता देख भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह के पूरे शहर से आवारा कुत्तों को पकड़ने के निर्देश दिए हैं।  उसके बाद निगम का अमला एक्टिव हुआ। कल निगम ने मीनल एरिया में आठ कुत्ते पकड़े थे।  यह अभियान आज भी चल रहा है।  निगम राजधानी में आवारा कुत्तों की नसबंदी करने पर हर साल एक 1.5 करोड़ का बजट है। पहले निगम के पास एक  एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर (एबीसीसी) था लेकिन अब वह बढ़ कर तीन हो गये हैं। इसके बाद भी बढ़ती कुत्तों की संख्या में लगाम नहीं लग पा रही है।

मासूमों को खुला न छोड़े
आवारा कुत्तों के आतंक से बचाने के लिये लोगों को भी अलर्ट रहना होगा। खुल में बच्चों को छोड़ने के कारण ही उनपर स्ट्रीट डाग्स के हमले हो रहे हैं। निगम के पशु चिकित्सा अधिकारी डा.एसके श्रीवास्तव का कहना है कि एनिमल बर्थ कंट्रोल के प्रयास किये जा रहे हैं लेकिन इनको शहर से बाहर नहीं किया जा सकता है। बेहतर यही है कि इनकी सुरक्षा में लापरवाही न बरती जाए।

तीन  सेल्टर हाउस के भरोसे पूरा अभियान
 नगर निगम  राजधानी में आवारा कुत्तों की नसबंदी करने पर हर साल एक 1.5 करोड़ का बजट है लेकिन यह पैसा कहां जा रहा है यह कोई देखने वाला नहीं है।   पहले निगम के पास एक  एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर  था लेकिन अब वह बढ़ कर तीन हो गये हैं। इनमें कजलीखेड़ा, अरवलिया और आदमपुर  पर है।  इसमें निगम की पांच गाड़ियां लगी रहती है।  हकीकत यह है कि अगर नसबंदी का काम सही तरीके से होता तो आवारा कुत्तों की संख्या में इजाफा नहीं होता। राजधानी में आवारा कुत्तों की संख्या दो लाख  के करीब पहुंच चुकी है लेकिन उसके बाद निगम ने न तो इनको कंट्रोल की योजना की समीक्षा की और न ही इस पर खर्च होन ेवाले पैसे की समीक्षा की।  

राजधानी में आवारा कुत्तों की नसबंदी के लिये तीन सेंटर निगम द्वारा चलाये जा रहे हैं। नियमों के कारण कुत्तों को शहर से बाहर नहीं छोड़ा जा सकता है। नसबंदी के बाद इनको वापस उसी जगह पर छोड़ा जाता है। निगम का डॉग स्क्वाड इनको पकड़ने की मुहिम में लगी है।
डॉ. एसके श्रीवास्तव, पशु चिकित्सा अधिकारी,
नगर निगम भोपाल

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