मध्य प्रदेश

हाई कोर्ट की फटकार के बाद सरकार ऑनलाइन गेम पर नियंत्रण के लिए कानून बनाने को तैयार

क्रिकेट सहित सभी ऑनलाइन गैंबलिंग पर लगेगी रोक

भोपाल। आनलाइन गेम पर नियंत्रण के लिए मप्र सरकार कानून बनाएगी। इसके लिए जुआ एक्ट में संशोधन कर आनलाइन गेम में लगाए गए दांव को भी जुआ एक्ट में जोड़ा जाएगा। जिससे आनलाइन दाव लगाने वाले लोग भी कार्रवाई की जद में आ जाएंगे। बुधवार को कानून-व्यवस्था की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जुआ एक्ट में बदलाव के निर्देश दिए हैं। बैठक में गृहमंत्री, अपर मुख्य सचिव गृह डा़ राजेश राजौरा, पुलिस महानिदेशक सुधीर कुमार सक्सेना मौजूद थे, जबकि आइजी, डीआइजी सहित सभी जिलों के पुलिस अधीक्षक एवं अन्य अधिकारी वर्चुअल जुड़े थे।

गौरतलब है कि राज्य सरकार ने यह निर्णय हाईकोर्ट द्वारा सरकार को नाराजगी के साथ जारी किए गए नोटिस के बाद लिया है। कोर्ट ने इस मामले में लेट लतीफी पर नाराजगी जाहिर पीएस व एसीएस गृह को अगली बार से व्यक्तिगत हाजिरी लगाने की भी हिदायत दी थी। राज्य सरकार जुआ एक्ट में बदलाव करेगी। कानून में संशोधन कर आनलाइन गेम को भी इसमें जोड़ा जाएगा। इसके बाद दांव लगाकर खेला गया आनलाइन गेम भी जुआ की श्रेणी में आएगा और उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकेगी। मुख्यमंत्री ने पुलिस मुख्यालय स्तर पर चिटफंड सेल गठित करने के भी निर्देश दिए हैं। जो नियमित रूप से धोखाधड़ी करने वाले मामलों की निगरानी करेगी। यह सेल यह भी देखेगी कि जिन लोगों के चिटफंड कारोबारियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कराया है, उन्हें राशि वापस मिल भी रही है या नहीं और मिली है तो अब तक कितनी मिल चुकी है।
हाईकोर्ट ने जताई थी नाराजगी
15 मार्च 23 को आनलाइन गेम्बलिंग से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट जबलपुर ने इस मामले को लेकर सरकार पर सख्त नाराजगी जाहिर की थी। इससे पूर्व 30 अगस्त 2022 की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में वादा करने के बावजूद राज्य सरकार ने ऑनलाइन गैंबलिंग पर अंकुश लगाने के लिए कानून का ड्राफ्ट ही तैयार नहीं किया था, तब सरकार यह भी नहीं बता पाई थी कि इससे जुड़ा बिल विधानसभा में विचार के लिए कब लाया जाएगा। कोर्ट ने सरकार के रवैये पर कड़ी नाराजगी जाहिर कर सरकार के उस आवेदन को भी खारिज कर दिया था, जिसमें पूर्व में तीन माह की समय- सीमा दिए जाने का आदेश वापस लेने की मांग की गई थी। कोर्ट ने इस बात को लेकर भी नाराजगी जाहिर कि पिछली सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से जवाब में कहा गया कि ऑनलाइन गैंबलिंग पर अंकुश लगाने कानून बनाने राज्य के वरिष्ठ सचिवों की कमेटी विचार कर रही है। उस वक्त कानून का खाका तैयार करने तीन माह मांगा गया और उसके बाद विधानसभा में अनुमोदन के लिए भेजने की बात कही, लेकिन ड्राफ्ट ही तैयार नहीं किया गया। इसके बाद जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने प्रमुख सचिव और अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह को अगले 7 दिन के भीतर ड्राफ्ट पेश करने के निर्देश देकर 21 मार्च को सुनवाई नियत की थी। साथ ही यह भी पूछा कि यह बिल विधानसभा में बहस और वोटिंग के लिए कब रखा जाएगा। कोर्ट ने हिदायत दी थी कि अगर आगामी सुनवाई तक हलफनामा पेश नहीं किया तो व्यक्तिगत हाजिरी के लिए आदेश दिए जाएंगे। इसके बाद सरकार ने अनुरोध कर लगभग एक महीने का समय और मांग लिया था।
क्या था मामला
दरअसल, एमपी के सिंगरौली जिले के सनत कुमार जयसवाल की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर संज्ञान लिया था। सनत कुमार जायसवाल पर आरोप था कि उसने अपने नाना के खाते से 8 लाख 51 हजार की राशि निकाली थी। इस रकम को उसने आईपीएल के सट्टे में लगाकर बर्बाद कर दिया। केंद्र सरकार की ओर से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल पुष्पेंद्र यादव ने कोर्ट को बताया कि गैंबलिंग एक्ट राज्य की सूची का विषय है, जिसके बाद राज्य सरकार ने अंडरटेकिंग हाईकोर्ट में पेश की। इसके बाद राज्य सरकार ने तीन माह में कानून का मसौदा बनाने की बात कही थी, जो कि तय समय सीमा के बाद भी तैयार नहीं किया गया।
कांग्रेस भी रही हमलावर
इस मामले में कांग्रेस भी लगातार राज्य सरकार पर निशाना साधती रही है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा था कि प्रदेश सरकार को युवाओं के चौपट होते भविष्य से कोई लेना देना नहीं है। इसीलिए आनलाइन गैम्बलिंग पर कानून बनाकर रोक नहीं लगाई जा रही है। पूर्व सीएम कमलनाथ ने भी जल्द कानून बनाने की मांग की थी।

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