मध्य प्रदेश

सीपीएस डिप्लोमा में दो चरण की काउंसलिंग के बाद भी एमपी में 92 में 51 सीटें खाली, विशेषज्ञों की कमी दूर करने सरकार ने शुरू किया था पाठ्यक्रम ….

भोपाल। राज्य सरकार ने प्रदेश में चिकित्सा विशेषज्ञों की कमी दूर करने के लिए सरकार ने सीपीएस डिप्लोमा पाठ्यक्रम जिला अस्पताल और कुछ सिविल अस्पतालों में पांच साल पहले शुरू किया था। मौजूदा स्थिति में 38 अस्पतालों में इसकी 91 सीटें हैं। इसमें प्रवेश के लिए दो चरण की काउंसिलिंग के बाद भी 51 सीटें खाली हैं।

जानकारी के अनुसार अब तीसरे चरण की काउंसलिंग 9 सितंबर से की जा रही है। दो साल के इस कोर्स की सीटें नहीं भरने की दो वजह हैं। एक तो यह कि इस पाठ्यक्रम को करने के बाद दूसरे राज्यों में प्रैक्टिस नहीं की जा सकती। दूसरी यह कि मेडिकल पीजी डिग्री सीट बढ़ने के बाद इसी में दाखिला मिल जाता है, जिससे डिप्लोमा में रुचि कम हुई है। जिन विषयों पर डिप्लोमा हो रहा है उनमें एनेस्थीसिया, स्त्री एवं प्रसूति रोग, शिशु रोग, हड्डी रोग और मेडिसिन विभाग प्रमुख हैं।

ज्यादातर सीटें इन्हीं विषयों की हैं। इन सीटों पर दाखिला नीट पीजी के माध्यम से होता है। पहले इन सीटों को भरने के लिए सरकारी अस्पतालों के नियमित और संविदा चिकित्सकों को मौका दिया जाता है। इसके बाद भी सीटें खाली रह जाती हैं तो ओपन श्रेणी यानी बाहरी उम्मीदवारों से भरी जाती हैं।

उपलब्ध जानकारी के अनुसार हर साल कुल क्षमता के मुकाबले इसकी 20 से 30 % सीटें रिक्त रह जाती थी, लेकिन इस बार दो चरण की काउंसलिंग के बाद 55 % सीटें खाली हैं। तीसरे चरण की काउंसिलिंग के बाद भी 10 से 15 सीटें भरने की ही उम्मीद है। तीसरे चरण में संबंधित अस्पतालों में प्रवेश के लिए उम्मीदवार से 9 से 11 सितंबर के बीच विकल्प मांगे गए थे। सीटों का आवंटन 16 सितंबर का होगा। उम्मीदवार 19 से 24 सितंबर के बीच संबंधित अस्पतालों में प्रवेश ले सकेंगे।

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