लेखक की कलम से

शिक्षक….

 

शिक्षक ने पौधे को सीच – सीच कर एक पेड़ बनाया,

हर मोड़ पर आंधी और तूफानों से लड़ने का नया जोश जगाया।

 

अंधियारियों में मुश्किलों से टकराने का जो पाठ पढ़ाया,

दिन को दुगना और रात को चौगुना करना हर दम बताया।।

 

कभी न हिम्मत हारना “बच्चे” हर पल यह हौसला बड़ाया,

माता – पिता के बाद गुरु बनने का जिसने सौभाग्य पाया।

 

खुद जलकर दूसरों को उजाला देने का गुण इन्हीं गुरुजनों से हमने पाया,

सभी गुरुजनों के चरणों में हरदम हमने अपना शीश झुकाया।।

 

  ©सुरभि शर्मा, शिवपुरी, मध्य प्रदेश   

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