लेखक की कलम से

अबोली यादें ….

उदासी का गहरा लिवास

ओढ़े

तेरी यादें

मेरे पीछे खड़ी हैं

पत्तों पर मुर्दनी सी

घुटी-घुटी साँसें हवाओं की

कानों में रह रह गूंजी

बुझी-बुझी आवाजें।

कुछ जानी-अनजानी सूरतें

उतरी आंखों में

कुछ यादें माज़ी के

कुँएं  में कैद!

वह अबोली..

भूली-बिसरी यादें

दबे कदमों

उतरी आज…!

मेरी अधमूंदी आंखों में।

 

© मीना हिंगोरानी, नई दिल्ली

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